टाटा मोटर्स के शैलेश चंद्र बने ओआईसीए के पहले एशियाई अध्यक्ष

12 Nov 2025

टाटा मोटर्स के शैलेश चंद्र बने ओआईसीए के पहले एशियाई अध्यक्ष

पहले एशियाई अध्यक्ष: टाटा मोटर्स के शैलेश चंद्र बने ओआईसीए के पहले एशियाई अध्यक्ष, भारत की वैश्विक पहचान को मिला नया सम्मान।

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JS

By Jyoti

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टाटा मोटर्स के पैसेंजर वाहन विभाग और टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के प्रबंध निदेशक शैलेश चंद्र को ओआईसीए (ऑर्गनाइजेशन इंटरनेशनल देस कंस्ट्रक्टर्स द’ऑटोमोबाइल्स) का पहला एशियाई अध्यक्ष चुना गया है। यह नियुक्ति भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जो वैश्विक स्तर पर देश की बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाती है।

वैश्विक ऑटोमोबाइल मंच पर ऐतिहासिक नियुक्ति

ओआईसीए की स्थापना वर्ष 1919 में पेरिस में हुई थी। यह संगठन दुनिया भर के ऑटोमोबाइल उद्योगों का प्रतिनिधित्व करता है और नीतियों, नवाचार तथा स्थायी परिवहन से जुड़े मुद्दों पर काम करता है। शैलेश चंद्र का अध्यक्ष बनना इस बात का प्रतीक है कि अब एशिया और विशेषकर भारत जैसे क्षेत्र वैश्विक ऑटो उद्योग में प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं।

शैलेश चंद्र ने जॉन बोज़ेला (अलायंस फॉर ऑटोमोटिव इनोवेशन, अमेरिका के अध्यक्ष) का स्थान लिया है। यह घोषणा ओआईसीए की आमसभा में की गई, जहां चंद्र के अनुभव, नेतृत्व क्षमता और संतुलित दृष्टिकोण की सराहना की गई।

वैश्विक नेतृत्व में बदलाव का संकेत

अब तक ओआईसीए का नेतृत्व मुख्य रूप से यूरोप और उत्तरी अमेरिका तक सीमित रहा था। शैलेश चंद्र की नियुक्ति यह दर्शाती है कि अब उभरते बाजारों की भूमिका बढ़ रही है। विशेष रूप से भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में उत्पादन, बिक्री और नई तकनीक के क्षेत्र में तेज़ विकास हो रहा है।

चंद्र के नेतृत्व में ओआईसीए का ध्यान सुरक्षित, टिकाऊ और सहयोगात्मक परिवहन व्यवस्था पर रहेगा। यह भी उम्मीद है कि विकासशील देशों की राय अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अधिक प्रभावशाली होगी।

अनुभव और दृष्टिकोण

शैलेश चंद्र को ऑटोमोबाइल उद्योग में लगभग तीन दशक का अनुभव है। उन्होंने टाटा मोटर्स के पैसेंजर वाहन व्यवसाय में परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है।

चंद्र के नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने अपने ईवी पोर्टफोलियो को मजबूत किया है और भारत में स्वच्छ परिवहन के क्षेत्र में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। उनकी रणनीति नवाचार, सहयोग और स्थानीय समाधान पर आधारित रही है, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

भारत के लिए इसका महत्व

भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन बाजार बन चुका है। शैलेश चंद्र की नियुक्ति भारत के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। यह केवल एक सम्मानजनक पद नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि भारत जैसे देश अब वैश्विक स्तर पर तकनीक, नीति और परिवहन के भविष्य से जुड़ी चर्चाओं का नेतृत्व कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह नियुक्ति विकासशील देशों की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाने में मदद करेगी। साथ ही यह भी दर्शाती है कि वैश्विक उद्योग अब केवल पश्चिमी देशों तक सीमित नहीं, बल्कि एशिया जैसे क्षेत्रों की भागीदारी भी तेजी से बढ़ रही है।

आगे की दिशा

आने वाले समय में ओआईसीए संयुक्त राष्ट्र और विश्व वाहन विनियमन मंच जैसे संगठनों के साथ काम जारी रखेगा। शैलेश चंद्र की प्राथमिकता विभिन्न देशों के बीच सहयोग बढ़ाना और समान मानकों के साथ टिकाऊ परिवहन प्रणाली को आगे बढ़ाना रहेगा। उनकी यह नियुक्ति केवल एशिया के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है — जहां नवाचार और नेतृत्व अब कई महाद्वीपों में समान रूप से विभाजित होंगे।

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