भारत का व्यवसाय वाहन (सीवी) उद्योग सरकार के हाल ही में लिए गए फैसले से सबसे बड़ा लाभार्थी बनने जा रहा है। सरकार ने व्यवसाय वाहनों पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया है। अशोक लेलैंड के प्रबंध निदेशक शेनू अग्रवाल का कहना है कि यह कदम ट्रक और बसों की बिक्री में बड़ा बदलाव ला सकता है।
भारत में ट्रक अब काफी पुराने हो गए हैं। आज सड़कों पर चलने वाले ट्रकों की औसत उम्र 10 साल है, जबकि पहले यह 7–8 साल होती थी। करीब 11–12 लाख मध्यम और भारी ट्रक 10 साल से भी पुराने हैं और उन्हें बदलने का समय आ चुका है।
अग्रवाल ने कहा, “यह जीएसटी कटौती, जिससे गाड़ियों की कीमत लगभग 10% कम हो जाएगी, ट्रांसपोर्टरों को नए वाहन खरीदने की बड़ी वजह देगी। जो लोग अब तक खरीदारी टाल रहे थे, वे अब आगे आएंगे।”
अगर यह बदलाव शुरू होता है, तो इस साल भारत की सीवी बिक्री 2019 के शिखर स्तर को भी पार कर सकती है।
अग्रवाल का कहना है कि जीएसटी कटौती सिर्फ कीमतें घटाने तक सीमित नहीं है। इससे पूरी अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा। उन्होंने कहा, “जीएसटी हर उपभोक्ता और हर कारोबार को प्रभावित करता है। अगर लोग ज्यादा सामान खरीदेंगे तो माल ढुलाई की मांग बढ़ेगी। और ज्यादा माल ढुलाई का मतलब है ज्यादा ट्रकों की जरूरत।”
खनन, सड़क निर्माण और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सामान ढुलाई की मांग बढ़ने से सीवी क्षेत्र में और तेजी आएगी।
इस बदलाव से छोटे बेड़े चलाने वाले ऑपरेटरों को राहत मिलेगी। ये ऑपरेटर बाजार का करीब 60% हिस्सा हैं, लेकिन अक्सर ज्यादा कीमतों की वजह से नए ट्रक खरीदने में मुश्किल झेलते हैं। अब कम कीमत और आसान कर्ज मिलने से उनके लिए गाड़ियां बदलना आसान होगा।
लाइट व्यवसाय वाहन (एलसीवी) सेगमेंट, जो पिछले समय से दबाव में था, भी इस कटौती से फायदा उठाएगा। बैंक और वित्तदाता भी अब ज्यादा भरोसे में हैं क्योंकि कम कीमत से उनका जोखिम घटता है।
बसों का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है। राज्य परिवहन विभाग और निजी कंपनियां बढ़ती यात्री संख्या को पूरा करने के लिए ज्यादा बसें खरीद रही हैं। इसी को देखते हुए अशोक लेलैंड ने अपनी बस उत्पादन क्षमता अप्रैल 2026 तक 1,650 बस प्रति माह तक बढ़ाने की योजना बनाई है।
हालांकि माहौल सकारात्मक है, लेकिन अग्रवाल ने कहा कि सीवी बाजार भावनाओं पर नहीं चलता। कारों के विपरीत, ट्रक खरीदने का फैसला पूरी तरह आमदनी पर आधारित होता है। ट्रक की कीमत ₹30–50 लाख होती है, इसलिए ऑपरेटर सोच-समझकर निर्णय लेते हैं। उन्होंने बताया कि अक्टूबर–नवंबर तक स्थिति और साफ हो पाएगी।
फिर भी, अग्रवाल आशावादी हैं। मजबूत माल ढुलाई की मांग, सरकार का सहयोग और जीएसटी कटौती मिलकर सीवी उद्योग को वह बढ़ावा दे सकते हैं जिसकी लंबे समय से जरूरत थी।
उन्होंने कहा, “अगर सब कुछ सही रहा, तो इस साल की बिक्री 2019 के स्तर को भी पार कर जाएगी।”
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