साल 2025 में दिल्ली फिर एक बार घने धुएँ और धुंध की चादर में ढकी हुई है। हवा ज़हरीली हो चुकी है और लोग खुले में साँस लेने से डरते हैं। लेकिन इसी जहरीली हवा के बीच ट्रक चालक रोज़ाना सड़क पर उतरते हैं। उनका काम रुक नहीं सकता, क्योंकि दिल्ली की रोज़मर्रा की ज़रूरतें उन्हीं के भरोसे चलती हैं।
हर सर्दी में प्रदूषण पहले से ज़्यादा बढ़ जाता है। पराली का धुआँ दिल्ली तक पहुँचता है, गाड़ियों का धुआँ बढ़ता है, फैक्ट्रियों का धुआँ हवा में भरता है और ठंडी हवाएँ इस धुएँ को नीचे ही रोक देती हैं। इसी कारण शहर में हवा की गुणवत्ता लगातार गिरती जाती है और कई दिनों तक ए क्यू आई इतना बढ़ जाता है कि लोग घर से बाहर निकलने से बचते हैं। लेकिन ट्रक चालकों के लिए रुकना संभव नहीं होता। उन्हें सड़क पर रहना ही पड़ता है।
एक आम व्यक्ति दिन में कुछ मिनट या कुछ घंटे ही बाहर रहता है, लेकिन ट्रक चालक रोज़ 10 से 14 घंटे सड़क पर रहते हैं। वे गाड़ी चलाते हैं, माल लोड-अनलोड करते हैं, बॉर्डर पर रुकते हैं और कई बार ट्रक में ही सो जाते हैं। इस वजह से उन्हें लगातार प्रदूषित हवा का सामना करना पड़ता है।

डॉक्टरों के अनुसार दिल्ली में ट्रक चालकों की सेहत तेजी से बिगड़ रही है। इसके कई कारण सामने आए हैं।
हवा में मौजूद बेहद छोटे कण फेफड़ों में घुसकर जमा हो जाते हैं। इससे खाँसी, साँस फूलना, सीने में भारीपन और लम्बे समय की साँस संबंधी बीमारियाँ होने लगती हैं। धीरे-धीरे फेफड़ों की ताकत कम होती जाती है।
धुएँ के कारण आँखों में जलन, पानी आना और धुंधला दिखना आम समस्या बन गई है। त्वचा में भी खुजली और जलन होती है। अधिकतर चालक ठीक मास्क या सुरक्षात्मक चश्मा खरीद नहीं पाते।
प्रदूषित हवा से दिल पर दबाव बढ़ता है। ब्लड प्रेशर बढ़ता है, दिल की धड़कन तेज होती है और हार्ट-सम्बन्धी दिक्कतें बढ़ जाती हैं। लम्बे समय तक यह खतरा और बढ़ जाता है।
हवा में ऑक्सीजन कम होने से चालक जल्दी थक जाते हैं। ध्यान कम होने लगता है और प्रतिक्रिया करने की क्षमता धीमी हो जाती है। सड़क पर यह स्थिति ख़तरनाक साबित हो सकती है। ट्रक चालक को हर जगह खराब हवा मिलती है, हाईवे पर, टोल पर, गोदामों में, बॉर्डर पर और पार्किंग में। ट्रक की केबिन में भी हवा के छोटे छेदों से प्रदूषण अंदर आता रहता है। इसलिए उन्हें कभी भी साफ हवा नहीं मिलती।
कुछ कदम उनकी सेहत को बचा सकते हैं:-
दिल्ली की ज़हरीली हवा सभी को नुकसान पहुँचाती है, लेकिन सबसे ज़्यादा खतरा उन ट्रक चालकों को है जो अपनी मजबूरी में घंटों सड़क पर रहते हैं। वे दिल्ली की जरूरतें पूरी करते हैं, लेकिन बदले में अपनी सेहत दाँव पर लगा देते हैं। इस संकट का हल तभी मिलेगा जब ट्रक चालकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी।
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