बैटरी स्वैपिंग बनाम फास्ट चार्जिंग: व्यवसायिक ईवी के लिए कौन सी तकनीक बेहतर है?

13 Oct 2025

बैटरी स्वैपिंग बनाम फास्ट चार्जिंग: व्यवसायिक ईवी के लिए कौन सी तकनीक बेहतर है?

भारत में व्यवसायिक ईवी के लिए बैटरी स्वैपिंग और फास्ट चार्जिंग में कौन सी तकनीक ज्यादा असरदार है, जानिए उनके फायदे और सीमाएँ।

Review

Author

PV

By Pratham

Share

अगर आप ट्रक या बसों का बेड़ा (फ्लीट) चलाते हैं, तो आपने ये दो शब्द ज़रूर सुने होंगे: बैटरी स्वैपिंग और फास्ट चार्जिंग। दोनों ही “ज़ीरो डाउनटाइम” यानी बिना समय गँवाए चलने का दावा करते हैं। लेकिन भारत में व्यवसायिक ईवी के लिए कौन सा तरीका ज़्यादा कारगर है?

मुख्य फर्क क्या है?

फास्ट चार्जिंग का मतलब है कि आप अपनी ईवी को एक हाई-पावर डीसी चार्जर (लगभग 150 से 600 किलोवॉट) से जोड़ते हैं। इससे चार्जिंग तेज़ होती है, लेकिन फिर भी पूरी बैटरी चार्ज होने में 30 से 90 मिनट लग जाते हैं — बैटरी के आकार पर निर्भर करता है।

वहीं बैटरी स्वैपिंग में खाली बैटरी निकालकर पहले से चार्ज की गई बैटरी लगा दी जाती है, बिल्कुल वैसे ही जैसे गैस सिलेंडर बदला जाता है। इसमें कुछ ही मिनट लगते हैं और ट्रक दोबारा सड़क पर निकल पड़ता है।

बैटरी स्वैपिंग के फायदे

जिन व्यवसायों में गाड़ियाँ लगातार चलती हैं, जैसे बंदरगाह परिवहन, ई–कॉमर्स या खनन क्षेत्र, वहाँ समय बहुत कीमती होता है। ऐसे में बैटरी स्वैपिंग ध्यान खींच रही है।

हाल ही में हरियाणा के सोनीपत में भारत का पहला व्यवसायिक ट्रक बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग स्टेशन शुरू हुआ, जिसका उद्घाटन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया। यह स्टेशन दावा करता है कि वह एक ट्रक की बैटरी 7 मिनट से कम समय में बदल सकता है — जो पारंपरिक चार्जिंग की तुलना में बहुत तेज़ है।

जवाहरलाल नेहरू पोर्ट प्राधिकरण (जेएनपीए) ने भी कंटेनर ढोने वाले बैटरी-स्वैपेबल इलेक्ट्रिक ट्रक इस्तेमाल करना शुरू किया है और आने वाले समय में अपनी गाड़ियों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रहा है।

एक और फायदा यह है कि स्वैपिंग स्टेशन को बिजली ग्रिड से बहुत बड़ी कनेक्शन क्षमता की ज़रूरत नहीं होती, क्योंकि वहाँ बैटरियों को धीरे-धीरे चार्ज किया जा सकता है।

लेकिन यह तरीका पूरी तरह आसान नहीं है — हर वाहन निर्माता (ओईएम) की बैटरी का आकार और डिजाइन अलग होता है, जिससे एक समान मानक (स्टैंडर्डाइजेशन) बनाना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, सभी अतिरिक्त बैटरियों का प्रबंधन और रखरखाव भी महंगा पड़ता है।

फास्ट चार्जिंग के फायदे

फास्ट चार्जिंग लगाना आसान है। इसके लिए ट्रकों का डिजाइन बदलने या बैटरी का एक ही आकार तय करने की ज़रूरत नहीं होती। गाड़ियों के डिपो में चार्जर लगाए जा सकते हैं, और ड्राइवर खाने या आराम के समय चार्जिंग कर सकते हैं।

टाटा मोटर्स और वोल्वो आईशर जैसे निर्माता पहले से ही 600 किलोवॉट अल्ट्रा-फास्ट चार्जर भारी ईवी वाहनों के लिए आज़मा रहे हैं।

हालाँकि, एक साथ कई ट्रक चार्ज होने पर यह तरीका भारत की बिजली ग्रिड पर भारी दबाव डालता है। इसके अलावा, शुरू में लगाने की लागत भी ज़्यादा होती है।

कौन बेहतर है?

सच कहा जाए तो दोनों ही तरीके साथ-साथ रहेंगे, बस अलग ज़रूरतों के लिए।

  • बैटरी स्वैपिंग: उन जगहों के लिए जहाँ वाहन बार-बार चलते हैं, जैसे बंदरगाह, गोदाम या निश्चित मार्गों पर चलने वाले ट्रक।
  • फास्ट चार्जिंग: लंबी दूरी तय करने वाले या रात में डिपो पर रुकने वाले ट्रकों के लिए बेहतर।

निष्कर्ष

अभी के लिए व्यवसायिक ईवी का भविष्य किसी मुकाबले जैसा नहीं है, बल्कि एक टीमवर्क जैसा है। जहाँ लगातार चलने वाले वाहनों को बैटरी स्वैपिंग सबसे ज़्यादा लाभ देगी, वहीं फास्ट चार्जिंग बाकी ज़रूरतों को पूरा करेगी। भारत में ईवी क्रांति दोनों तरीकों के साथ मिलकर आगे बढ़ेगी।

अधिक लेख और समाचारों के लिए, 91ट्रक्स के साथ अपडेट रहें। हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें और ऑटोमोबाइल जगत के नवीनतम वीडियो और अपडेट के लिए हमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, और लिंक्डइन पर फॉलो करें!

Web Stories

Latest Electric News

Categories

*Prices are indicative and subject to change
91trucks

91trucks is a rapidly growing digital platform that offers the latest updates and comprehensive information about the commercial vehicle industry.

© 2025 Vansun Ventures Pvt. Ltd. All rights reserved.

Get Connected