भारत में इलेक्ट्रिक कमर्शियल वाहनों (ईसीवी) को अपनाने की रफ्तार बढ़ रही है, क्योंकि सरकार साफ-सुथरे परिवहन के लिए काम कर रही है। ईसीवी, जैसे इलेक्ट्रिक बसें, ट्रक और थ्री-व्हीलर, खासकर शहरों में बहुत फायदेमंद हैं, क्योंकि ये वायु प्रदूषण और शोर को कम करते हैं। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग से नए काम के मौके भी मिलेंगे, जो एक हरी अर्थव्यवस्था में मदद करेंगे और शहरों में साफ हवा की जरूरत को पूरा करेंगे।
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भारत में ईवी चार्जिंग स्टेशन की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2 फरवरी 2024 तक, देश में 12,146 चार्जिंग स्टेशन मौजूद हैं। 21 मार्च 2023 तक इनकी संख्या 6,586 थी। ज़्यादातर चार्जिंग स्टेशन बड़े शहरों में हैं जैसे दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और चेन्नई।
इलेक्ट्रिक वाहन एक इलेक्ट्रिक मोटर और रिचार्जेबल बैटरी का उपयोग करते हैं। प्रक्रिया तब शुरू होती है जब वाहन को चार्जिंग स्टेशन या दीवार के सॉकेट में लगाया जाता है ताकि ग्रिड से ऊर्जा खींची जा सके। ये ऊर्जा बैटरी में होती है जिसकी मदद से वाहन चलता है। जब आप गाड़ी चलाते हैं तो बैटरी ऊर्जा छोड़ती है जो इलेक्ट्रिक मोटर को चलाती है। इससे गाड़ी चलती है। इसकी मदद से सुगम और पर्यावरण के अनुकूल ड्राइविंग अनुभव मिलता है।
ये एक ऐसा वाहन है जिसमें पारंपरिक इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर लगी होती है। इंजन गाड़ी को चलाता है और बैटरी को चार्ज करता है जबकि इलेक्ट्रिक मोटर रफ़्तार के लिए अतिरिक्त ताकत देती है। जब वाहन धीमा होता है तो रिजेनरेटिव ब्रेकिंग के इस्तेमाल से वापस ऊर्जा हासिल करती है। ये वाहन इसलिए बेहतर विकल्प हैं क्योंकि ये बेहतर ईंधन दक्षता और कम उत्सर्जन करते हैं
बैटरी प्रबंधन प्रणाली, ईवी गाड़ी के लिए ज़रूरी चीज़ है जो बैटरी की कार्यक्षमता पर नज़र रखती है जिससे सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित हो सके। ये प्रणाली बैटरी को नुकसान, ओवरहीटिंग, अधिक चार्जिंग और डिस्चार्जिंग से बचाती है। इसके अलावा, ये बैटरी और वाहन के सिस्टम के बीच ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करती है। इससे बैटरी की कार्यक्षमता बढ़ती है और वो लंबा चलती है।
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