केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने देश के तेजी से फैलते हाइवे नेटवर्क पर फ्लैश चार्जिंग इलेक्ट्रिक बस सिस्टम शुरू करने की बात कही है। ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टेरी) द्वारा आयोजित 24वें दरबारी सेठ स्मृति व्याख्यान में गडकरी ने कहा – “देश की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बदलना ज़रूरी है। नए हाइवे शहरों को आसान तरीके से जोड़ रहे हैं, इसलिए मैं एक नया सार्वजनिक परिवहन सिस्टम बनाना चाहता हूँ।”
इस सिस्टम में बस स्टॉप पर पूरी तरह ऑटोमेटिक फ्लैश चार्जिंग स्टेशन लगाए जाते हैं। जब यात्री बस में चढ़ते या उतरते हैं, उसी दौरान कुछ सेकंड में बस को चार्ज कर दिया जाता है। इससे लंबी चार्जिंग के लिए डिपो में खड़े होने की ज़रूरत नहीं रहती। यह मॉडल लगातार चलने के लिए बनाया गया है, इसलिए शहर से शहर और हाई-फ़्रीक्वेंसी रूट्स पर यह बहुत उपयोगी होगा।
हिटाची एनर्जी और सीमेंस जैसी कंपनियाँ यह तकनीक और बसों के लिए ट्रैक्शन सिस्टम बना चुकी हैं। यह समाधान बड़ी संख्या में चलने वाले व्यवसाय वाहन बेड़ों के लिए खास है और सामान्य चार्जिंग केंद्रों पर निर्भरता कम करता है।
गडकरी ने बताया कि इस सिस्टम की लागत मेट्रो रेल प्रोजेक्ट से कहीं कम है। साथ ही, किराया डीज़ल बस से लगभग 30 प्रतिशत कम होगा। यानी यह सेवा किफायती भी है और पर्यावरण के अनुकूल भी।
दिल्ली-देहरादून, बैंगलोर-चेन्नई और दिल्ली-जयपुर जैसे रूट्स पर यह फ्लैश चार्जिंग इलेक्ट्रिक बस यात्रा का समय और घटा सकती है और यात्रियों को सस्ती, साफ-सुथरी और भरोसेमंद सेवा दे सकती है।
नागपुर नगर निगम पहले से ही टाटा मोटर्स के साथ मिलकर इस सिस्टम का पायलट प्रोजेक्ट चला रहा है। टाटा के धारवाड़ प्लांट में बनी 18 मीटर लंबी इलेक्ट्रिक व्यवसाय बस में 135 यात्री बैठ सकते हैं। इसमें एसी, मनोरंजन की सुविधाएँ हैं और यह 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार तक जा सकती है। इस प्रोजेक्ट के लिए हिटाची और सीमेंस चार्जिंग ढांचा दे रहे हैं।
गडकरी ने यह भी बताया कि इस तकनीक का उपयोग इलेक्ट्रिक व्यवसाय ट्रकों के लिए भी किया जाएगा। हाल ही में सीमेंस के साथ बातचीत में यह सुझाव दिया गया कि हाइवे के 10 किलोमीटर हिस्से पर बिजली की तारें बिछाई जाएँ, जैसे रेलवे में होती हैं, जिससे बस एक बार चार्ज होकर 40 किलोमीटर तक जा सके। यह महँगा है, लगभग 8 करोड़ रुपये खर्च होंगे, लेकिन इसे "बिल्ड–ऑपरेट–ट्रांसफर" मॉडल पर किया जा सकता है।
नागपुर का पायलट प्रोजेक्ट टाटा मोटर्स को भारत की इलेक्ट्रिक व्यवसाय बसों की दिशा में आगे रखता है। सीमेंस और हिटाची जैसी वैश्विक कंपनियों के सहयोग से यह पहल अन्य शहरों और हाइवे के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकती है।
अगर यह सफल होता है, तो फ्लैश चार्जिंग सिस्टम सार्वजनिक परिवहन की परिभाषा बदल देगा और भारत के व्यवसाय परिवहन क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल का रास्ता खोलेगा।
अधिक लेख और समाचारों के लिए, 91ट्रक्स के साथ अपडेट रहें। हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें और ऑटोमोबाइल जगत के नवीनतम वीडियो और अपडेट के लिए हमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, और लिंक्डइन पर फॉलो करें!
91ट्रक्स एक तेजी से बढ़ता डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो वाणिज्यिक वाहन उद्योग से संबंधित नवीनतम अपडेट और जानकारी प्रदान करता है।