भारत में इलेक्ट्रिक बसें

भारत के शहरों में इलेक्ट्रिक बसें (ई-बसें) अब सार्वजनिक परिवहन का अहम हिस्सा बनती जा रही हैं। इन बसों से धुएँ का उत्सर्जन नहीं होता, ये बहुत शांत चलती हैं और इनका रखरखाव भी सस्ता पड़ता है। यही वजह है कि इन्हें शहरों के अंदर चलने वाले रूट्स, हवाई अड्डों की शटल सेवाओं और शहर से आसपास के इलाकों तक जाने वाली सेवाओं के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
जैसे-जैसे सरकारें हरित परिवहन को बढ़ावा दे रही हैं, वैसे-वैसे इलेक्ट्रिक बसों की कीमत, दक्षता और भरोसेमंद प्रदर्शन अब परिवहन एजेंसियों और फ्लीट ऑपरेटरों के लिए मुख्य निर्णय का आधार बन गए हैं।

अब भारत में कई वाहन निर्माता ऐसी बसें बना रहे हैं जो 200 से 300 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती हैं, जिनमें आधुनिक सुविधाएँ, बेहतर बैटरी सिस्टम और आरामदायक सवारी का अनुभव मिलता है। आईशर स्काईलाइन प्रो ई 9एम से लेकर जेपीएम ईको-लाइफ ई12 तक, अब इलेक्ट्रिक एसी बसें, इलेक्ट्रिक मिनी बसें और पूरी तरह प्रदूषण मुक्त विकल्प तेजी से बढ़ रहे हैं।

कीमत (एक्स-शोरूम): छोटी सिटी बसों की कीमत लगभग ₹35 लाख से शुरू होकर बड़ी 12 मीटर बसों के लिए ₹2 करोड़ या उससे अधिक तक जाती है।
रेंज: 160 से 300+ किलोमीटर (मॉडल के अनुसार)
बैटरी और पावर: 204 किलोवॉट-घंटे तक की बैटरी, और 124 किलोवॉट से 250 किलोवॉट तक की पावर आउटपुट

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    मुख्य फायदे और बाज़ार की स्थिति

    -शून्य प्रदूषण: ई-बसें वायु गुणवत्ता को बेहतर करने में मदद करती हैं।
    -कम खर्च में संचालन: बिजली और कम यांत्रिक हिस्सों के कारण ईंधन और सर्विसिंग में काफी बचत होती है।
    -शांत और आरामदायक यात्रा: भीड़भाड़ वाले शहरों में यह एक बड़ा लाभ है।
    -सरकारी सहायता: केंद्र और राज्य सरकारें इन बसों पर सब्सिडी, फंडिंग और नीतिगत प्रोत्साहन दे रही हैं।

    बैटरी, रेंज और चार्जिंग

    इन बसों की बैटरी क्षमता छोटे रूट्स के लिए कम और पूरे शहर में चलने वाली बसों के लिए ज्यादा होती है। उदाहरण के तौर पर, आईशर स्काईलाइन प्रो ई 9एम में 204 किलोवॉट-घंटे की बैटरी दी जाती है जो लगभग 300 किलोमीटर की रेंज देती है।

    वहीं, जेपीएम ईको-लाइफ ई12 एक प्रीमियम मॉडल है, जिसकी शुरुआती कीमत लगभग ₹2 करोड़ है (12 मीटर FBV वेरिएंट के लिए)।
    ज्यादातर नई बसें सीसीएस-2 फास्ट चार्जिंग तकनीक को सपोर्ट करती हैं जिससे चार्जिंग का समय काफी कम हो जाता है।

    कहाँ-कहाँ इस्तेमाल होती हैं

    -शहरों में चलने वाली लो-फ्लोर या सेमी-लो-फ्लोर एसी बसें
    -हवाई अड्डे की शटल या स्टाफ परिवहन
    -शहर से जुड़ी फीडर रूट सेवाएँ
    -संस्थागत फ्लीट जैसे कॉलेज, फैक्टरी या पर्यटन रूट्स

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    यहाँ आप रेंज, बैटरी साइज, सीटिंग क्षमता, जीवीडब्ल्यू, कीमत जैसी जानकारी आसानी से देख सकते हैं। साथ ही आप डीजल और इलेक्ट्रिक बसों के कुल संचालन खर्च की तुलना भी कर सकते हैं, जिससे आपको यह तय करने में मदद मिलेगी कि कौन-सी इलेक्ट्रिक एसी बस या मिनी ई-बस आपके व्यवसाय के लिए सबसे उपयुक्त रहेगी।

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    *कीमतें सांकेतिक हैं और बदल सकती हैं।
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