भारत अब स्वच्छ परिवहन के नए दौर में कदम रख रहा है। एनटीपीसी जल्द ही देश की पहली हाइड्रोजन ईंधन बसें यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) क्षेत्र में चलाने जा रही है। यह परियोजना भारत के हरित सार्वजनिक परिवहन की दिशा में एक बड़ा कदम है और शून्य उत्सर्जन परिवहन के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगी।
तीन साल की इस पायलट योजना के तहत एनटीपीसी चार 45-सीटर वातानुकूलित बसें चलाएगी। ये बसें नोएडा, ग्रेटर नोएडा और जेवर में बन रहे नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बीच चलेंगी। इनमें से दो बसें तैयार हैं और बाकी दो जल्द शामिल होंगी। हर बस एक बार रीफिल करने पर लगभग 600 किलोमीटर तक चलेगी, जिससे यह साबित होता है कि लंबी दूरी की यात्रा के लिए हाइड्रोजन एक उपयोगी विकल्प बन सकता है।
इन बसों में फ्यूल सेल तकनीक का उपयोग किया गया है, जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाकर बिजली बनाती है। इससे केवल जलवाष्प निकलती है। यह प्रक्रिया सड़क पर धुआं, शोर और प्रदूषण को खत्म करती है, जिससे यात्रा साफ, शांत और आरामदायक बनती है।
यह परियोजना एनटीपीसी हाइड्रोजन परियोजना का हिस्सा है। एनटीपीसी ही हाइड्रोजन का उत्पादन, भंडारण और आपूर्ति करेगी, जबकि वाईईआईडीए बसों का संचालन संभालेगी। हाइड्रोजन का उत्पादन एनटीपीसी के दादरी संयंत्र में किया जाएगा, जहां जल को विद्युत विश्लेषण से विभाजित किया जाएगा। इस हाइड्रोजन को संपीड़ित कर विशेष रिफ्यूलिंग स्टेशन में रखा जाएगा।
यह व्यवस्था यह समझने में मदद करेगी कि बड़े स्तर पर हाइड्रोजन का प्रयोग कितना प्रभावी हो सकता है। इससे रीफ्यूलिंग समय, लागत और ऊर्जा दक्षता का अध्ययन किया जाएगा। साथ ही यह दिखाएगा कि हाइड्रोजन भविष्य में व्यवसाय वाहन उद्योग को कैसे मजबूत कर सकता है, विशेषकर उन वाहनों के लिए जो लंबी दूरी तय करते हैं और जल्दी रीफ्यूलिंग की जरूरत होती है।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल बसों के कई फायदे हैं। ये बसें कार्बन उत्सर्जन को पूरी तरह खत्म करती हैं और बिना शोर के चलती हैं। इनकी दूरी ज्यादा होती है और रीफ्यूलिंग में कम समय लगता है। बड़े शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए हाइड्रोजन एक भरोसेमंद विकल्प बन सकता है।
इस पायलट योजना से स्थानीय लोगों को भी नए कौशल सीखने का मौका मिलेगा। इंजीनियर, चालक और तकनीशियन सुरक्षित तरीके से हाइड्रोजन के साथ काम करना सीखेंगे। निर्माता फ्यूल सेल, टैंक और सेंसर जैसे उपकरण बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे। धीरे-धीरे यह एक नई स्वच्छ ऊर्जा श्रृंखला का रूप ले सकती है।
वाईईआईडीए हाइड्रोजन परियोजना भारत की स्थायी परिवहन नीति की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह देश की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण दोनों के लिए लाभदायक है। एनटीपीसी का यह प्रयास दिखाता है कि सरकारी कंपनियां भी नवाचार और पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा सकती हैं।
यदि यह परियोजना सफल होती है, तो अन्य शहर भी अपने बेड़े में हाइड्रोजन बसें शामिल कर सकते हैं। इससे व्यवसाय वाहनों में भी हाइड्रोजन तकनीक के प्रयोग का रास्ता खुलेगा। ऐसे बदलाव भारत को एक ऐसे भविष्य की ओर ले जाएंगे, जहां स्वच्छ ऊर्जा और बेहतर परिवहन एक साथ आगे बढ़ेंगे।
वाईईआईडीए क्षेत्र में एनटीपीसी की ये हाइड्रोजन बसें सिर्फ एक प्रयोग नहीं हैं, बल्कि एक संकेत हैं। ये बताती हैं कि भारत अब एक नए परिवहन युग के लिए तैयार है — ऐसा युग जो नवाचार से प्रेरित, स्थायी विकास पर आधारित और स्वच्छ ऊर्जा से संचालित होगा।
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