कर्नाटक सरकार ने शहर में चल रही इलेक्ट्रिक बसों की सुरक्षा और संचालन को लेकर चिंता जताई है। परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने भारी उद्योग मंत्रालय से कहा है कि वे व्यवसाय ऑपरेटरों की जांच करें जो "ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (जीसीसी)" मॉडल के तहत ई-बसें चला रहे हैं।
मंत्री ने बताया कि फेम-2 और सीईएसएल योजनाओं के तहत खरीदी गई बसों को चलाने वाले ऑपरेटर उम्मीद के अनुसार सेवा नहीं दे पा रहे हैं। मुख्य समस्याएं हैं – ड्राइवरों का कमजोर प्रशिक्षण, समय पर रखरखाव की कमी, मशीन की बार-बार खराबी, और डीजल बसों के मुकाबले ई-बसों के ज़्यादा हादसे।
फिलहाल, बेंगलुरु महानगर परिवहन निगम (बीएमटीसी) के पास 7,000 से ज़्यादा बसें हैं, जिनमें लगभग 1,600 इलेक्ट्रिक हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हर 1 लाख किलोमीटर पर ई-बसों की खराबी डीजल बसों से ज़्यादा होती है। मंत्री ने कहा कि यह खराब रखरखाव और कमजोर निगरानी का नतीजा है।
रेड्डी ने यह भी बताया कि स्टाफ की कमी बड़ी समस्या है। जीसीसी समझौते के अनुसार हर बस के लिए 2-3 कर्मचारी होने चाहिए, लेकिन अधिकतर व्यवसाय ऑपरेटर इससे कम कर्मचारी रखते हैं। इसका असर रखरखाव, सुरक्षा जांच और सेवा की विश्वसनीयता पर पड़ता है।
सरकार की समीक्षा में हादसों का इतिहास, ड्राइवर की तैयारी और रखरखाव की प्रक्रिया पर ध्यान दिया जाएगा। यह भी जांचा जाएगा कि क्या जीसीसी मॉडल में “प्रति किलोमीटर लागत” तय होने से ऑपरेटर प्रशिक्षण और सेवा पर समझौता कर रहे हैं।
कई बार बसों के खराब होने का कारण बैटरी की खराबी और समय पर पुर्जों के न बदलने को बताया गया है। इलेक्ट्रिक इंजन के लिए प्रशिक्षित तकनीशियन न होने से भी बसें लंबे समय तक खड़ी रहती हैं। परिवहन विभाग अब सख्त रखरखाव नियम, प्रमाणित ड्राइवर प्रशिक्षण कार्यक्रम और नियमित सुरक्षा जांच लागू करने की योजना बना रहा है।
मंत्री ने कहा कि कर्नाटक इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना चाहता है, लेकिन यात्रियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। आने वाले समय में सभी नए समझौतों में सख्त नियम और राज्य व केंद्र के संयुक्त निगरानी तंत्र शामिल होंगे।
भारत में इलेक्ट्रिक बसें स्वच्छ यातायात योजना का अहम हिस्सा हैं, लेकिन बेंगलुरु के अनुभव बताते हैं कि निगरानी और रखरखाव में सुधार जरूरी है। यह समीक्षा आगे चलकर व्यवसाय ऑपरेटरों की जवाबदेही बढ़ाने और नए अनुबंध नियम तय करने की दिशा में कदम साबित हो सकती है।
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