क्रिसिल रेटिंग्स का अनुमान है कि देश के व्यवसायिक (व्यवसाय) फ्लीट ऑपरेटरों की आमदनी इस वित्त वर्ष में 8-10% बढ़ेगी। यह वृद्धि पिछले चार वर्षों में हुई 12-13% की औसत सालाना बढ़त (CAGR) के बाद देखने को मिलेगी।
रिपोर्ट बताती है कि देश के भीतर की खपत ही इस वृद्धि की मुख्य वजह बनी हुई है। 40 फ्लीट ऑपरेटरों के विश्लेषण से पता चला है कि उनकी लगभग 65-70% आमदनी घरेलू परिवहन से आती है, जबकि बाकी हिस्सा निर्यात-आयात (एक्सपोर्ट-इंपोर्ट) व्यापार से जुड़ा है। इस वर्ष फ्लीट उपयोग दर 85% से बढ़कर 86-87% होने की उम्मीद है।
क्रिसिल के अनुसार, संचालन लागत बढ़ने के बावजूद लाभ मार्जिन 8.0-8.5% के आसपास स्थिर रहेंगे। ईंधन खर्च कुल लागत का लगभग 43-45% होता है। वहीं अक्टूबर 2025 से नए ट्रकों में एसी केबिन लगाना अनिवार्य होगा, जिससे खर्च और बढ़ेगा। हालांकि, सरकार द्वारा व्यवसायिक (व्यवसाय) वाहनों पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) को 28% से घटाकर 18% करने से वाहन खरीद सस्ती होगी और विस्तार में मदद मिलेगी।
फ्लीट ऑपरेटरों का पूंजीगत खर्च (कैपिटल स्पेंडिंग) इस वर्ष ₹1200-1300 करोड़ रहने की उम्मीद है, जो पिछले तीन वर्षों के औसत से करीब 15% ज्यादा है। इसमें से लगभग 80-90% खर्च कर्ज से पूरा किया जाएगा। ज्यादा निवेश के बावजूद क्रिसिल का मानना है कि उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत रहेगी — ऋण अनुपात 0.5 गुना से नीचे और ब्याज कवरेज 6.5 गुना से ऊपर रहेगा।
रिपोर्ट में कुछ जोखिम भी बताए गए हैं, जैसे — भू-राजनीतिक हालात, ब्याज दरों में बदलाव, डीज़ल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और अमेरिका के शुल्कों का निर्यात माँग पर असर। फिर भी, भारत सरकार की बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, जैसे समर्पित माल गलियारे और मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क, फ्लीट की कार्यक्षमता और गति में सुधार लाएंगे।
कुल मिलाकर, घरेलू माँग, आयात आधारित माल ढुलाई और सरकारी नीतियों के कारण फ्लीट ऑपरेटरों के लिए 2025 में वृद्धि की संभावना बनी हुई है। यह उनके लिए विस्तार, नई तकनीक और सप्लाई-चेन सुधार के अच्छे अवसर दिखा रही है।
वाणिज्यिक गाड़ियों और ऑटोमोबाइल से जुड़ी नई जानकारियों के लिए 91ट्रक्स के साथ जुड़े रहें। हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें और फेसबुक, इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर हमें फॉलो करें, ताकि आपको ताज़ा वीडियो, खबरें और ट्रेंड्स मिलते रहें।