भारत में इस वर्ष सबसे ज़्यादा बिकने वाले हल्के व्यवसाय वाहन : आँकड़े और जानकारीभारत में इस वर्ष सबसे ज़्यादा बिकने वाले हल्के व्यवसाय वाहन : आँकड़े और जानकारी

04 Aug 2025

भारत में इस वर्ष सबसे ज़्यादा बिकने वाले हल्के व्यवसाय वाहन : आँकड़े और जानकारी

भारत में वर्ष 2025 के सबसे अधिक बिकने वाले हल्के व्यवसाय वाहन – बिक्री के आंकड़े, मॉडल की जानकारी और भविष्य की प्रवृत्तियाँ।

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JS

By Jyoti

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भारत की आर्थिक गतिविधियाँ पहियों पर चलती हैं, और अक्सर, यही हल्के व्यवसाय वाहन (एलसीवी) होते हैं जो इस रफ्तार को बनाए रखते हैं। भीड़भाड़ वाले शहरों की गलियों में जहाँ फुर्ती ज़रूरी होती है या दूरदराज़ गाँवों में जहाँ रास्ते संकरे और उबड़-खाबड़ होते हैं, वहाँ एलसीवी क्षेत्रीय परिवहन की रीढ़ हैं। वर्ष 2025 में इनकी उपयोगिता और बढ़ गई है। पारंपरिक कंपनियों ने अपने मॉडल को बेहतर बनाकर पकड़ मजबूत की है, वहीं नए खिलाड़ी बाज़ार में प्रतिस्पर्धा को और तेज कर रहे हैं, जिससे छोटे व्यापारियों और बेड़े मालिकों के पास बेहतर विकल्प हैं।

एलसीवी क्या होता है?

हल्के व्यवसाय वाहन वह वाहन होता है जिसकी कुल वज़न सीमा 7.5 टन तक होती है। यह वाहन मुख्यतः हल्का सामान ले जाने के लिए बनाए जाते हैं, जो छोटी से मध्यम दूरी के लिए उपयुक्त होते हैं। इनकी ख़ासियत होती है, बेहतर ईंधन दक्षता, कॉम्पैक्ट डिज़ाइन और कम परिचालन लागत, जो अंतिम छोर तक डिलीवरी और अर्ध-शहरी परिवहन के लिए जरूरी होते हैं।

छोटे व्यापारी, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, किराना दुकानदार और किसान इन वाहनों को उनके उपयोग और किफ़ायतीपन के कारण पसंद करते हैं। ये केवल भार उठाने के लिए नहीं, बल्कि पहुँच, चपलता और व्यावसायिक सफलता के लिए भी ज़रूरी हैं।

वर्ष 2025 में एलसीवी की बिक्री क्यों बढ़ी?

इस वर्ष बिक्री में तेज़ी देखी गई है। ई-कॉमर्स कंपनियाँ अब द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में भी पहुँच रही हैं, जिससे भरोसेमंद अंतिम छोर लॉजिस्टिक्स की माँग बढ़ी है। साथ ही, शहरी विकास परियोजनाओं ने व्यवसाय गतिविधियों को गति दी है। सरकार द्वारा प्रोत्साहित ऋण योजनाएँ और एमएसएमई को समर्थन देने वाले कार्यक्रमों ने एलसीवी को खरीदना आसान बना दिया है।

निर्माताओं ने ऐसे वाहन पेश किए हैं जो बेहतर माइलेज, आसान फाइनेंसिंग और स्वच्छ ईंधन विकल्पों के साथ आते हैं। अब एलसीवी ओवरलोडेड दोपहिया वाहनों और अधूरे उपयोग वाले भारी ट्रकों के बीच एक सही विकल्प बन चुके हैं।

वर्ष 2025 में सबसे अधिक बिकने वाले एलसीवी मॉडल

1. टाटा ऐस गोल्ड

  • कुल वज़न: 1835 किलोग्राम
  • ईंधन विकल्प: पेट्रोल, डीज़ल, सीएनजी
  • कीमत: ₹4.2 – ₹6.5 लाख

टाटा ऐस गोल्ड शहरों में छोटे व्यापारियों की पहली पसंद है। कंपनी की मजबूत सर्विस नेटवर्क और अच्छा पुनर्विक्रय मूल्य इसके पक्ष में जाते हैं। इस वर्ष पूर्वी भारत में इसकी बिक्री में 12 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है।

2. महिंद्रा सुप्रो प्रॉफिट ट्रक

  • कुल वज़न: 1050 किलोग्राम
  • ईंधन विकल्प: डीज़ल, सीएनजी
  • कीमत: ₹5.4 – ₹6.3 लाख

पहली बार खरीदने वालों के लिए यह बढ़िया विकल्प है। छोटे व्यापारियों के बाहर महिंद्रा सुप्रो प्रॉफिट ट्रक आमतौर पर दिखता है, फूल विक्रेता, इलेक्ट्रॉनिक्स दुकानदार आदि। वर्ष की पहली छमाही में ही 25000 से अधिक इकाइयाँ बिक चुकी हैं।

3. अशोक लेलैंड दोस्त+

  • कुल वज़न: 2905 किलोग्राम
  • ईंधन विकल्प: डीज़ल
  • कीमत: ₹7.8 – ₹8.5 लाख

जो लोग ज़्यादा माल ढोते हैं और लंबी दूरी तय करते हैं, उनके लिए अशोक लेलैंड दोस्त+ आदर्श विकल्प है। दक्षिण भारत में इसकी लोकप्रियता अधिक है। वित्तीय योजनाओं और सहकारी समितियों की मदद से यहाँ इसकी बिक्री में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

4. मारुति सुज़ुकी सुपर कैरी

  • कुल वज़न: 1620 किलोग्राम
  • ईंधन विकल्प: पेट्रोल, सीएनजी
  • कीमत: ₹5.2 – ₹6.0 लाख

मारुति का नाम ट्रक से जुड़ा कम दिखता है, लेकिन मारुति सुज़ुकी सुपर कैरी अपना स्थान बना चुका है। बेहतर ईंधन बचत और प्रदूषण की चिंता वाले बाज़ारों, जैसे दिल्ली एनसीआर और गुजरात, में सीएनजी वेरिएंट बहुत लोकप्रिय हो रहा है।

5. टाटा इंट्रा वी30

  • कुल वज़न: 2565 किलोग्राम
  • ईंधन विकल्प: डीज़ल
  • कीमत: ₹8.3 – ₹9.4 लाख

जो व्यापारी अपने काम को आगे बढ़ाना चाहते हैं, उनके लिए टाटा इंट्रा वी30 आदर्श है। बड़ा माल डेक और ड्राइवर के लिए आरामदायक सीटें इसे लॉजिस्टिक्स कंपनियों और औषधि वितरकों के बीच लोकप्रिय बनाती हैं। लखनऊ और नागपुर जैसे शहरों में इसकी बिक्री में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

मूल्य सारांश: एलसीवी 2025

मॉडलईंधन प्रकारकुल वज़न (किलोग्राम)कीमत (₹)
टाटा ऐस गोल्डपेट्रोल/सीएनजी/डीज़ल1835₹4.2 – ₹6.5 लाख
महिंद्रा सुप्रो मिनीडीज़ल/सीएनजी1050₹5.4 – ₹6.3 लाख
अशोक लेलैंड दोस्त+डीज़ल2905₹7.8 – ₹8.5 लाख
मारुति सुपर कैरीपेट्रोल/सीएनजी1620₹5.2 – ₹6.0 लाख
टाटा इंट्रा वी30डीज़ल2565₹8.3 – ₹9.4 लाख

हर मॉडल की अपनी अलग खासियत है—कोई तंग गलियों में बेहतर काम करता है, तो कोई लंबी दूरी के लिए उपयुक्त है। सही चुनाव इस बात पर निर्भर करता है कि क्या माल ढोया जा रहा है, कितनी बार और कितनी दूरी पर।

एलसीवी बाज़ार की उभरती प्रवृत्तियाँ

बिजली चालित वाहन का प्रचलन अब विद्युत चालित एलसीवी सिर्फ कल्पना नहीं रहे। डेयरी और किराना डिलीवरी कंपनियाँ शहरों में छोटे इलेक्ट्रिक वाहन आज़मा रही हैं। भले ही रेंज की सीमा हो, लेकिन परिवर्तन की शुरुआत हो चुकी है।

स्मार्ट बेड़े बनते जा रहे हैं सामान्य अब वाहन मालिक ईंधन खपत, चालक की आदतें और मार्ग प्रदर्शन को वास्तविक समय में ट्रैक कर रहे हैं। जिन वाहनों में टेलीमैटिक्स और बेड़े प्रबंधन टूल्स लगे हैं, उनकी माँग बढ़ रही है।

स्वामित्व मॉडल में विविधता लचीली ईएमआई योजनाएँ, लीजिंग विकल्प और अल्पकालिक किराए जैसी स्कीमें अब टेक्नोलॉजी आधारित लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप्स को एलसीवी अपनाने में मदद कर रही हैं।

निष्कर्ष

भारत में एलसीवी केवल व्यवसाय के उपकरण नहीं हैं, ये अवसरों के वाहक हैं। टाटा का ऐस हो, महिंद्रा का सुप्रो हो या अशोक लेलैंड का दोस्त+, हर मॉडल कुछ अलग पेश करता है। ये सब सफल होते हैं क्योंकि ये किसी एक ज़रूरत को बखूबी पूरा करते हैं।

वर्ष 2025 में जैसे-जैसे कनेक्टिविटी बढ़ रही है और व्यापार फैल रहा है, सही एलसीवी लाभ और नुकसान के बीच का फर्क तय कर सकता है। और जैसे बाज़ार बदल रहा है, उसी तरह इन वाहनों की अनुकूलता ही असली जीत की कुंजी बनेगी।

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