उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में व्यवसाय ट्रक चलाना ठंड के मौसम में बहुत मुश्किल हो जाता है। जैसे ही सर्दियाँ लद्दाख और हिमाचल प्रदेश को बर्फ और ठंडी हवाओं से ढक लेती हैं, डीज़ल ट्रकों को कई तकनीकी और काम से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर इन समस्याओं को नज़रअंदाज़ किया जाए, तो ट्रक रुक सकते हैं या ख़राब हो सकते हैं, जिससे समय और पैसे दोनों का नुक़सान होता है।
ठंड में डीज़ल में मौजूद पैराफिन वैक्स जमने लगता है।
लद्दाख में तापमान -20°C से भी नीचे चला जाता है, जो सामान्य डीज़ल के लिए बहुत ठंडा होता है।
समाधान: सर्दियों के लिए बना डीज़ल इस्तेमाल करें या उसमें एंटी-जल एडिटिव मिलाएं।
लेह में इंडियन ऑयल जैसी कंपनियाँ विंटर-ग्रेड डीज़ल देती हैं, जो बहुत कम तापमान में भी जमता नहीं। अगर ऐसा डीज़ल उपलब्ध न हो, तो एंटी-जल मिलाना ज़रूरी है।
बहुत ठंड में इंजन स्टार्ट करना मुश्किल हो जाता है।
समाधान: इंजन को पहले से गरम करने वाले सिस्टम लगवाएं।
जब गरम हवा ठंडी धातु से टकराती है, तो पानी की बूंदें बनती हैं जो डीज़ल में मिल जाती हैं। ये पानी जम जाए तो फ़्यूल लाइन ब्लॉक हो जाती है।
समाधान: टैंक को पूरा भरें और वाटर सेपरेटर लगवाएं।
हिमाचल की ऊँचाई पर स्थित सड़कों पर ब्रेक लाइन में मौजूद नमी जमकर बर्फ़ बन जाती है। इससे ब्रेक काम करना बंद कर देते हैं, जो बहुत ख़तरनाक है।
समाधान: हर दिन एयर टैंक को खाली करें और अल्कोहल इवैपोरेटर का इस्तेमाल करें।
अगर आप व्यवसाय ट्रक को लद्दाख या हिमाचल जैसी ठंडी जगहों पर चलाना चाहते हैं, तो तैयार रहना ज़रूरी है। डीज़ल ट्रक मजबूत होते हैं, लेकिन अजेय नहीं। ठंड के असर को समझकर पहले से उपाय करने से न सिर्फ़ ट्रक सही चलेगा, बल्कि समय पर सामान भी पहुँच जाएगा। लद्दाख और हिमाचल की सर्दी एक परीक्षा है — अपने ट्रक को तैयार रखें।
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