वियतनाम की तेजी से बढ़ती इलेक्ट्रिक वाहन कम्पनी विनफास्ट अब भारत के इलेक्ट्रिक बस क्षेत्र में अगस्त 2026 तक प्रवेश करने की योजना बना रही है। कम्पनी पहले से ही कई देशों में इलेक्ट्रिक कार बेचती है और एक बड़ा इलेक्ट्रिक वाहन ढाँचा तैयार कर चुकी है। अब कम्पनी भारत के बड़े सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि यह भारत के उस लक्ष्य से मेल खाता है जिसमें देश अपने अधिकतर परिवहन मार्गों को इलेक्ट्रिक बनाना चाहता है।
विनफास्ट की भारत में एंट्री उसकी तेज़ वैश्विक विस्तार योजना का हिस्सा है। एशिया, उत्तर अमेरिका और यूरोप में अपने विस्तार के बाद कम्पनी अब भारत को एक प्रमुख बाज़ार मानती है। भारत में कम्पनी ने पहले इलेक्ट्रिक एसयूवी उतारीं, फिर बिक्री केन्द्र बनाए और अब सार्वजनिक परिवहन की ज़रूरतों का अध्ययन कर रही है। भारत की नीतियाँ भी इलेक्ट्रिक बसों को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे इस क्षेत्र में कम्पनी के लिए बड़े अवसर तैयार हो रहे हैं।
विनफास्ट की इलेक्ट्रिक बसें, जो विदेशों में चल रही हैं और भारत के लिए बदली जा रही हैं, 6 मीटर, 9 मीटर और 12 मीटर आकार में आएंगी। हर बस में 281 किलोवाट घंटा बैटरी होगी और एक बार चार्ज होने पर लगभग 260 किलोमीटर तक चल सकेगी। यह क्षमता भारत की राज्य परिवहन इकाइयों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए तय की गई है। ये बसें शहरों की भीड़, छोटे-छोटे स्टॉप और गर्म मौसम को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं।

कम्पनी महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों के परिवहन विभागों से बातचीत कर रही है। इन चर्चाओं में बसों की ख़रीद, मार्ग योजना, डिपो चार्जिंग और रखरखाव जैसे मुद्दे शामिल हैं। क्योंकि ये सभी तत्व एक-दूसरे से जुड़े हैं, इसलिए सभी योजनाएँ एक साथ बनाई जा रही हैं। कम्पनी केवल बस बेचने की योजना नहीं बना रही, बल्कि पूरे संचालन ढाँचे को तैयार करना चाहती है।
भारत की नीतियाँ भी इस काम को तेज़ बनाती हैं। कई शहर अब पुरानी डीज़ल बसों की जगह इलेक्ट्रिक बसें ला रहे हैं। भारत में इलेक्ट्रिक बसों की माँग तेज़ी से बढ़ रही है क्योंकि इनकी चलने की लागत कम होती है और प्रदूषण भी घटता है। इस समय भारत में इलेक्ट्रिक बस बाज़ार लगातार बढ़ रहा है और विनफास्ट सही समय पर इसमें प्रवेश कर रही है।
कम्पनी भविष्य में भारत में गहरी स्थानीयकरण नीति अपनाना चाहती है। इसमें देश में असेंबली, पुर्ज़ों की स्थानीय ख़रीद और आफ्टर-सेल्स सेवा शामिल होगी। शुरूआती चरण में कुछ बसें विदेश से आयेंगी, लेकिन आगे जाकर लागत कम करने और आपूर्ति मजबूत करने पर ध्यान दिया जाएगा। वर्तमान समय में भारत में कई वैश्विक और घरेलू इलेक्ट्रिक बस निर्माता कड़ी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। विनफास्ट की ताकत उसकी बैटरी तकनीक और उसके मॉड्यूलर वाहन प्लेटफॉर्म में है। यदि कम्पनी अपने वाहनों की सेवा और रखरखाव को भरोसेमन्द बनाए रखे, तो वह कई राज्यों से अनुबंध प्राप्त कर सकती है।
जैसे-जैसे अगस्त 2026 नज़दीक आएगा, उद्योग से जुड़े लोगों की नज़र इस बात पर रहेगी कि विनफास्ट अपनी बसों को भारतीय सड़क स्थितियों और सेवा मानकों के अनुसार कैसे ढालती है। यदि कम्पनी अपने तय योजना पर कामयाब रहती है, जैसे विश्वसनीय बसें, आसान वित्त व्यवस्था और मजबूत चार्जिंग ढाँचा, तो वह भारत के उभरते इलेक्ट्रिक बस बाज़ार में स्थायी स्थान बना सकती है।
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