भारत में बढ़ते प्रदूषण को रोकना अब सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता बन चुका है। इसी दिशा में सरकार ने पुराने वाहनों से होने वाले धुएं को कम करने के लिए ग्रीन टैक्स लागू किया है। यह टैक्स खासकर उन व्यवसाय वाहनों पर लागू होता है जो पुराने हैं और ज़्यादा प्रदूषण फैलाते हैं।
ग्रीन टैक्स एक ऐसा शुल्क है जो उन वाहनों पर लगाया जाता है जो उम्र या खराब रखरखाव की वजह से ज़्यादा धुआं छोड़ते हैं। पुराने इंजन ज़्यादा हानिकारक गैसें निकालते हैं, इसलिए सरकार ने यह टैक्स लगाकर लोगों को ऐसे वाहनों का इस्तेमाल बंद करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (मोर्थ) के अनुसार, व्यवसाय वाहन जो 8 साल से ज़्यादा पुराने हैं और निजी वाहन जो 15 साल से पुराने हैं, उन्हें ग्रीन टैक्स देना होगा। यह टैक्स वाहन की फिटनेस दोबारा बनवाने के समय जमा किया जाएगा।
इस टैक्स से मिलने वाली राशि का उपयोग हवा की गुणवत्ता सुधारने, सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने और स्वच्छ ईंधन जैसे सीएनजी, एलपीजी और बिजली वाले वाहनों को बढ़ावा देने में किया जाएगा।
मोर्थ ने एक ऐसा ढांचा तैयार किया है जिसमें हर राज्य को अपने हिसाब से टैक्स दरें तय करने की छूट दी गई है। यह नीति राज्यों की प्रदूषण स्थिति के अनुसार बनाई गई है ताकि हर राज्य अपने स्तर पर प्रदूषण घटाने के कदम उठा सके।
इस नीति के मुख्य बिंदु हैं:
कई ग्रीन टैक्स वाले राज्य जैसे महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु और उत्तराखंड पहले ही यह नीति लागू कर चुके हैं। महाराष्ट्र में यह टैक्स वाहन की उम्र और प्रकार के अनुसार ₹200 से ₹10,000 तक लिया जाता है। उत्तराखंड ने राज्य में बाहर से आने वाले वाहनों पर भी ग्रीन टैक्स लगाने की घोषणा की है।
हर राज्य के नियम अलग हैं, इसलिए परिवहन कंपनियों को अपने वाहनों की रूट योजना और टैक्स भुगतान की जानकारी समय पर रखनी ज़रूरी है।
ग्रीन टैक्स का असर सीधे तौर पर व्यवसाय वाहन मालिकों पर पड़ता है। यह टैक्स उनके खर्च, वाहन बदलने के निर्णय और लंबे समय की योजना को प्रभावित करता है।
भले ही यह टैक्स शुरुआती तौर पर खर्च बढ़ाता है, लेकिन लंबे समय में यह ईंधन बचत, कम रखरखाव और बेहतर पर्यावरण जैसी सुविधाएँ देता है।
आने वाले समय में ग्रीन टैक्स और डिजिटल प्रणाली से जुड़ सकता है। टैक्स की गणना वाहन के प्रदूषण स्तर के अनुसार अपने आप हो सकेगी। राज्यों में बिजली और हाइब्रिड व्यवसाय वाहनों के लिए प्रोत्साहन भी बढ़ाए जा सकते हैं। ग्रीन टैक्स भारत की सड़कों को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह नीति व्यवसाय वाहन मालिकों को अपने पुराने वाहनों को बदलने और नए, स्वच्छ विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
जो परिवहन कंपनियाँ समय रहते इस बदलाव को अपनाएंगी, वे आने वाले वर्षों में अधिक लाभ और कम प्रदूषण का अनुभव करेंगी। ग्रीन टैक्स सिर्फ एक टैक्स नहीं, बल्कि स्वच्छ हवा और बेहतर भविष्य की ओर बढ़ता कदम है।
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