एमएसआरटीसी के पुनर्विकास के लिए महाराष्ट्र ने ज़मीन की लीज़ अवधि बढ़ाकर 98 साल कीएमएसआरटीसी के पुनर्विकास के लिए महाराष्ट्र ने ज़मीन की लीज़ अवधि बढ़ाकर 98 साल की

06 Aug 2025

एमएसआरटीसी के पुनर्विकास के लिए महाराष्ट्र ने ज़मीन की लीज़ अवधि बढ़ाकर 98 साल की

महाराष्ट्र सरकार ने एमएसआरटीसी ज़मीन की लीज़ 98 साल तक बढ़ाई, बस अड्डों के नवीनीकरण और व्यवसायिक विकास को मिलेगा बढ़ावा।

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PV

By Pratham

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महाराष्ट्र सरकार ने निजी निवेश को बढ़ावा देने और बस अड्डों को आधुनिक बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब एमएसआरटीसी (महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन निगम) की ज़मीन पर बनने वाले नये बस अड्डों की लीज़ 60 साल से बढ़ाकर 98 साल कर दी गई है। सरकार का उद्देश्य है आमदनी बढ़ाना, ढांचा सुधारना और व्यवसायिक भागीदारी को मज़बूत करना।

सिर्फ एक साल पहले सरकार ने लीज़ अवधि 30 साल से 60 साल की थी। अब इस नई नीति के तहत निजी बिल्डर ज़मीन को पहले 49 साल के लिए लीज़ पर ले सकेंगे, जिसे बाद में और 49 साल के लिए बढ़ाया जा सकेगा।

कुछ मंत्रियों जैसे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने इतनी लंबी लीज़ पर चिंता जताई थी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी बिल्डरों द्वारा ज़मीन को औरों को किराए पर देने की आशंका जताई थी। लेकिन चर्चा के बाद कैबिनेट ने इसे मंज़ूरी दे दी।

एमएसआरटीसी, जो 598 बस अड्डों और 251 डिपो का संचालन करता है, पिछले 70 वर्षों से महाराष्ट्र की जनता को सेवा दे रहा है। यह राज्य में व्यवसायिक बस परिवहन का एक मजबूत आधार है। लेकिन फिलहाल यह सेवा आर्थिक संकट से जूझ रही है।

हर दिन एमएसआरटीसी को ₹3 करोड़ का घाटा हो रहा है। छात्राओं के लिए मुफ्त यात्रा और महिलाओं को 50 प्रतिशत की छूट जैसी रियायतों से बोझ और बढ़ा है। कुल नुकसान? ₹10,300 करोड़।

इस हालात को सुधारने के लिए सरकार अब निजी भागीदारी पर भरोसा कर रही है। पहले की योजना में बिल्डरों को पहले पैसा देना पड़ता था और फिर बस अड्डा बनाकर सौंपना होता था। अब नई नीति आमदनी पर केंद्रित है।

परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने बताया, “98 साल की लीज़ 60 साल की तुलना में ज़्यादा आमदनी देगी, ज़्यादा समय तक व्यवसाय चल सकेगा और एमएसआरटीसी की आय बढ़ेगी।”

उन्होंने कहा, “पहले हमें बस अड्डा और पैसा दोनों लेना होता था, अब नई नीति के अनुसार बिल्डर की व्यवसायिक संपत्ति में हिस्सा लिया जाएगा। जो ज़्यादा हिस्सा देगा, उसे ठेका मिलेगा। इस तरह हमें बिना पैसे दिये नया बस अड्डा भी मिलेगा और व्यवसायिक परिसर से किराए की आमदनी भी होगी।”

सरनाईक ने बताया कि अभी आमदनी का सही आंकलन तय नहीं हुआ है, लेकिन यह पहले की नीति से ज़्यादा ही होगा।

अब एमएसआरटीसी नए बस अड्डों की सूची तैयार करेगा जिन्हें नवीनीकरण के लिए चुना जाएगा। लेकिन हर ठेकेदार को कम से कम 3 स्थानों पर काम करना होगा – एक शहर में, एक तहसील में और एक ग्रामीण क्षेत्र में। इससे छोटे और घाटे में चल रहे बस अड्डों में भी सुधार होगा।

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र के व्यवसायिक वाहन चालक बेहतर ढांचे की मांग कर रहे हैं। नए बस अड्डे सिर्फ एमएसआरटीसी की व्यवसायिक बसों को ही नहीं, बल्कि अन्य व्यवसायिक वाहनों को भी सुविधा देंगे।

एमएसआरटीसी अपनी सेवाएं बढ़ाने के लिए एक मोबाइल ऐप भी लाने जा रहा है – छावा ऐप। यह ऐप रिक्शा और टैक्सी सेवा को यात्रियों से जोड़ेगा। “इससे चालकों और वाहन मालिकों को अच्छा मेहनताना मिलेगा और यात्रियों को सुरक्षा मिलेगी,” सरनाईक ने बताया।

यह बदलाव सिर्फ घाटे से उभरने की कोशिश नहीं है, बल्कि सरकार की सोच अब सार्वजनिक बोझ से निकलकर सार्वजनिक-निजी संतुलन की ओर बढ़ रही है। एमएसआरटीसी की व्यवसायिक सेवाओं और महाराष्ट्र के परिवहन क्षेत्र के भविष्य के लिए यह एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।

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