नीति आयोग ने भारत में धीमी गति से बढ़ रहे इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने पर जताई चिंतानीति आयोग ने भारत में धीमी गति से बढ़ रहे इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने पर जताई चिंता

05 Aug 2025

नीति आयोग ने भारत में धीमी गति से बढ़ रहे इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने पर जताई चिंता

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने की रफ्तार धीमी है, नीति आयोग ने नई रणनीति की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

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PV

By Pratham

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भारत दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता है, लेकिन अब तक की प्रगति बहुत धीमी रही है। यही संदेश सरकार के नीति बनाने वाले संगठन नीति आयोग ने हाल ही में दिया।

एक कार्यक्रम के दौरान नीति आयोग ने बताया कि भारत में अभी ईवी को अपनाने की गति काफी धीमी है। देश का लक्ष्य है कि 2030 तक 30% वाहनों में ईवी शामिल हों, लेकिन फिलहाल हम इस लक्ष्य से बहुत पीछे हैं।

राजीव गौबा, जो नीति आयोग के सदस्य हैं, उन्होंने कहा:

"भारत में ईवी की बिक्री 2016 में जहाँ केवल 50,000 गाड़ियों की थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर करीब 21.8 लाख पहुँच गई है, यानी हर साल करीब 20% की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन यह मानना होगा कि भारत की ईवी अपनाने की गति चीन, यूरोप संघ और अमेरिका से काफी पीछे है। पूरी दुनिया में ईवी का इस्तेमाल करीब 17% तक पहुँच गया है, जबकि भारत में यह अभी सिर्फ 8% से भी कम है।"

तीन-पहिए वाले वाहन आगे

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहे हैं, लेकिन सभी प्रकार के वाहनों में यह तेजी समान नहीं है।

  • तीन-पहिया गाड़ियों में ईवी की हिस्सेदारी 20% तक पहुँच गई है।
  • इलेक्ट्रिक बसों की हिस्सेदारी केवल 4.7% है।
  • इलेक्ट्रिक ट्रकों की स्थिति तो बहुत ही कमजोर है — 1% से भी कम।

इस फर्क का मतलब बहुत बड़ा है, क्योंकि बड़े वाहन ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं और अधिक ईंधन खर्च करते हैं। इसलिए इनका ईवी में बदलना और भी ज़रूरी है।

रणनीति बदलने की ज़रूरत

भारत का लक्ष्य बहुत बड़ा है, लेकिन मौजूदा नीति से वहाँ तक पहुँचना मुश्किल लग रहा है।

गौबा ने कहा, "अब तक हमने जो किया, वह अच्छा है, लेकिन अब हमें अपनी रणनीति और सोच पर फिर से विचार करना होगा। कोई नया तरीका, नई पहल या बड़ा कदम उठाना होगा, ताकि हम 2030 तक 30% ईवी अपनाने का लक्ष्य हासिल कर सकें।"

नीति आयोग ने कई समस्याएँ गिनाई हैं:

  • बसों और ट्रकों के लिए फाइनेंस मिलना मुश्किल है।
  • चार्जिंग स्टेशन कम हैं, और जो हैं, उनमें से कई का इस्तेमाल नहीं हो रहा।
  • लोगों में जानकारी की कमी है, चाहे वह आम जनता हो या निजी क्षेत्र।
  • डाटा अधूरा है।
  • कानूनों में एकरूपता नहीं है।

नीति में नया बदलाव

इन समस्याओं को दूर करने के लिए नीति आयोग ने एक नई दिशा सुझाई है। इस बार ज्यादा सब्सिडी पर नहीं, बल्कि कड़े नियमों और पूरे ईवी तंत्र में सुधार पर ज़ोर है।

मुख्य सुझाव:

  • शून्य उत्सर्जन वाहन को अनिवार्य करना।
  • पेट्रोल-डीजल वाले वाहनों को एक साल में हतोत्साहित करना।
  • पहले 5 शहरों में पूरी तरह से व्यवसाय और सार्वजनिक परिवहन को इलेक्ट्रिक बनाना, फिर बाकी जगह लागू करना।
  • छोटे वाहन मालिकों की मदद के लिए मिश्रित फाइनेंस, बैटरी लीज़िंग, और प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण की सुविधा देना।

इस नई नीति का मकसद है:

  • बाज़ार में स्थिरता लाना
  • निर्माताओं के लिए जोखिम कम करना
  • खरीदारों के लिए आसान रास्ता बनाना

निष्कर्ष

भारत ने कुछ क्षेत्रों में अच्छी शुरुआत की है, जैसे इलेक्ट्रिक तीन-पहिया वाहनों में, लेकिन बड़े वाहनों में प्रगति धीमी है। अगर इसमें तेजी नहीं आई, तो बड़ा लक्ष्य अधूरा रह जाएगा।

अगर भारत को वैश्विक ईवी नेतृत्व करना है, तो देश में ही ईवी बाज़ार को और तेज़ी से बढ़ाना होगा। नीति आयोग का कहना साफ है: अगर भारत को आगे रहना है, तो पीछे नहीं रह सकता।

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