भारत के लॉजिस्टिक क्षेत्र में इलेक्ट्रिक क्रांति चल रही है। अब इलेक्ट्रिक व्यवसाय वाहन शहरों में काम कर रहे हैं। ये तेज़ “लास्ट माइल” डिलीवरी के लिए बेहद जरूरी हैं। लेकिन इनकी शुरूआती लागत बहुत अधिक होने की वजह से कई फ्लीट ऑपरेटर इसे अपनाने में हिचकिचाते हैं। स्मार्ट इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) लोन सुविधा अब इस रास्ते को आसान बना रहा है, जिससे बदलाव व्यावहारिक और लाभकारी बन गया है।
इलेक्ट्रिक व्यवसाय वाहन अपनाने में मुख्य चुनौती प्रदर्शन नहीं, बल्कि भुगतान है। पारंपरिक व्यवसाय वाहन ऋण अक्सर बड़ी डाउन पेमेंट की मांग करता है। कई व्यवसाय इतने बड़े शुरुआती निवेश को वहन नहीं कर पाते। नवाचारी लोन सुविधा मॉडल सीधे इस समस्या को हल करते हैं। ये रणनीतिक उपकरण बड़े निवेश को मासिक आसान खर्च में बदल देते हैं। इस दृष्टिकोण से प्रभावी ईवी फ्लीट प्रबंधन आसान होता है और तकनीकी व पुनर्विक्रय मूल्य की चिंताओं का जोखिम पहले ही कम हो जाता है।
वर्तमान में तीन अलग मॉडल बाजार में प्रमुख हैं। हर मॉडल अलग व्यवसाय जरूरतों के लिए फायदे देता है।
ऑपरेटिंग लीज़: ऑपरेटिंग लीज़ एक सरल “पे-एज़-यू-गो” समाधान देती है। ऑपरेटर नए इलेक्ट्रिक व्यवसाय वाहन के लिए मासिक निश्चित किराया देते हैं। वाहन का उपयोग तय अवधि के लिए किया जाता है, आमतौर पर तीन से पांच साल। वाहन की पूरी मालिकाना हक लीज़ कंपनी के पास होती है। यह कंपनी सभी मेंटेनेंस और बीमा का ध्यान रखती है। वाहन के पुनर्विक्रय मूल्य का जोखिम भी लीज़ कंपनी उठाती है। यह मॉडल तेज़ी से बढ़ने वाली कंपनियों के लिए अधिक लचीलापन देता है।
फाइनेंस लीज़: फाइनेंस लीज़ स्थापित कंपनियों को मालिकाना हक पाने का स्पष्ट रास्ता देती है। व्यवसाय लंबे समय तक निश्चित मासिक भुगतान करते हैं, आमतौर पर चार से छह साल। ये भुगतान वाहन की पूरी कीमत को कवर करते हैं। ऑपरेटर वाहन का पूरा उपयोग करता है और अधिकांश मालिकाना जोखिम लेता है। लीज़ समाप्त होने पर वे वाहन को नाममात्र शुल्क में खरीद सकते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहन सब्सक्रिप्शन और बैटरी-एज़-ए-सर्विस: यह अल्पकालिक और हल्के-भरती संपत्ति दृष्टिकोण प्रदान करता है। बैटरी-एज़-ए-सर्विस एक महत्वपूर्ण नवाचार है। कंपनियां महंगी बैटरी के बिना इलेक्ट्रिक व्यवसाय वाहन खरीद सकती हैं। इससे शुरूआती लागत बहुत कम हो जाती है। फिर वे अलग से बैटरी सेवा का सब्सक्रिप्शन लेते हैं, जिसमें चार्जिंग, मेंटेनेंस और आसान बैटरी बदलना शामिल है।
सरकार भी इस बदलाव को तेज कर रही है। अनुकूल जीएसटी दरें वित्तीय राहत देती हैं। राज्य नीतियां रोड टैक्स छूट देती हैं। नीति आयोग जैसी प्रमुख संस्थाएं बैटरी स्वैपिंग और लोन सुविधा को बढ़ावा देती हैं। स्मार्ट पूंजी तक पहुंच अब भारत के महत्वाकांक्षी 2030 ईवी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।
सही मॉडल चुनना आपके व्यवसाय रणनीति पर निर्भर करता है।
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