एस्ट्रो मोटर्स द्वारा बनाया गया एक इलेक्ट्रिक तीन-पहिया वाहन लद्दाख के उमलिंग ला दर्रे तक पहुँचा है, जिसकी ऊँचाई 19,024 फीट है। यह दर्रा दुनिया की सबसे ऊँची मोटरेबल सड़क मानी जाती है, जहाँ पतली हवा, बहुत कम तापमान और तीखे चढ़ाव जैसे कठिन हालात रहते हैं। बहुत कम वाहन, खासकर इलेक्ट्रिक वाहन, इस ऊँचाई तक पहुँच पाते हैं। यह सफर इस बात को दर्शाता है कि इलेक्ट्रिक वाहन कठिन इलाकों में भी काम कर सकते हैं।
इस वाहन का नाम एस्ट्रो नव्या है और यह एक मालवाहक इलेक्ट्रिक तीन-पहिया वाहन है। इसने पूरी यात्रा भार के साथ पूरी की। उमलिंग ला, भारत-चीन सीमा के पास स्थित है, जहाँ पारंपरिक इंजन वाले वाहन अक्सर अपनी क्षमता खो देते हैं। इसके बावजूद, यह इलेक्ट्रिक मॉडल लगातार चलता रहा। इसकी बैटरी और मोटर ने कम ऑक्सीजन और तीखे रास्तों पर भी बिना किसी रुकावट के प्रदर्शन किया। इस यात्रा का उद्देश्य था — पावरट्रेन और ऊर्जा प्रणाली को कठिन मौसम में परखना। नतीजे में यह साबित हुआ कि इलेक्ट्रिक मोटर कम हवा के दबाव में भी पर्याप्त टॉर्क और पकड़ बनाए रख सकती है।
एस्ट्रो नव्या में 10.2 किलोवाट-घंटा की लिथियम-आयन बैटरी लगी है, जो उच्च टॉर्क वाली मोटर से जुड़ी है। इसमें मैनुअल गियरबॉक्स दिया गया है, जो इलेक्ट्रिक तीन-पहिया वाहनों में कम देखने को मिलता है। यह गियरबॉक्स पहाड़ी रास्तों पर टॉर्क को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने में मदद करता है। इसका पेलोड करीब 630 किलोग्राम है और अधिकतम गति लगभग 50 किलोमीटर प्रति घंटा है।
इन खूबियों से यह वाहन ठंडे और पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से चल सकता है। इस परीक्षण से यह समझने में मदद मिली कि ऊँचाई पर ऊर्जा की खपत, मोटर की प्रतिक्रिया और ड्राइवट्रेन की स्थिरता कैसे प्रभावित होती है।
यह उपलब्धि भारत में बढ़ते इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। इससे पता चलता है कि छोटे आकार के ईवी (तीन-पहिया वाहन) अब केवल शहरों तक सीमित नहीं हैं। ऐसे प्रयोग यह जानने में मदद करते हैं कि बैटरी, कंट्रोलर और मोटर कठिन परिस्थितियों में कैसे काम करते हैं।
उमलिंग ला पर मिला यह प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि भारत में विकसित इलेक्ट्रिक तकनीक अब तकनीकी रूप से और मजबूत हो रही है। इंजीनियर अब प्रयोगशाला के बाहर वास्तविक स्थितियों में भी परिणामों का अध्ययन कर सकते हैं।
साल 2025 में रेम्सन्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने एस्ट्रो मोटर्स में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। इस साझेदारी का उद्देश्य गियर वाले इलेक्ट्रिक तीन-पहिया वाहनों के उत्पादन को बढ़ाना है। उमलिंग ला तक की यह चढ़ाई एक तकनीकी परीक्षण थी, जिसने इस वाहन की मजबूती और निरंतर प्रदर्शन को साबित किया।
उमलिंग ला तक पहुँचना किसी प्रचार का हिस्सा नहीं था, बल्कि एक तकनीकी प्रयोग था। इसका उद्देश्य यह दिखाना था कि एक इलेक्ट्रिक तीन-पहिया वाहन उन जगहों पर भी काम कर सकता है, जहाँ साधारण वाहन नहीं चल पाते। यह उपलब्धि बताती है कि भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक अब हर तरह के वातावरण में खुद को साबित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
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