भारत और पाकिस्तान में ट्रक आर्ट: एक साझा परंपरा, एक रंगीन प्रतिस्पर्धा

25 Sep 2025

भारत और पाकिस्तान में ट्रक आर्ट: एक साझा परंपरा, एक रंगीन प्रतिस्पर्धा

भारत और पाकिस्तान की ट्रक आर्ट की रंगीन परंपरा, कलाकारों और उनके अनोखे डिज़ाइनों की कहानी।

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PV

By Pratham

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दक्षिण एशिया में ट्रक सिर्फ माल ढोने वाले साधन नहीं हैं, बल्कि यह कहानियाँ भी ढोते हैं। ट्रक पर गहरे रंग, कवितामयी पंक्तियाँ और खनखनाती सजावटें नजर आती हैं। इस चलती-फिरती कला को ट्रक आर्ट कहा जाता है और भारत तथा पाकिस्तान दोनों ही जगह इसे बेहद पसंद किया जाता है।

ट्रक आर्ट की शुरुआत कहाँ से हुई

20वीं सदी की शुरुआत में जब उपनिवेशकालीन भारत में विदेशों से ट्रक आए, तब चालकों ने उन्हें स्थानीय डिजाइनों और चमकदार रंगों से सजाना शुरू किया। धीरे-धीरे यह कला पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती गई। कुछ जानकार इसे सिंधु घाटी सभ्यता की सजाई गई बैलगाड़ियों से भी जोड़ते हैं।

ट्रक आर्ट: दो देश, दो अंदाज़

पाकिस्तान ने ट्रक आर्ट को एक बड़े व्यवसाय का रूप दिया। कराची इसका सबसे बड़ा केंद्र बना, जहाँ ट्रक शीशों, लाइटों और रंगीन कांच से चमकते हैं। पेशावर और क्वेटा में भारी लकड़ी का काम पसंद किया जाता है। सिंध में ऊँट की हड्डी की नक्काशी और चमकीले लाल रंग मशहूर हैं। यहाँ ट्रकों पर धार्मिक चित्र, शेर-शायरी और राजनीतिक नारे भी खूब लिखे जाते हैं।

भारत ने भी ट्रक आर्ट को अपनी तरह से अपनाया। पंजाब इसका मजबूत केंद्र है, जहाँ ट्रकों पर बाज, गाय और नज़र बट्टू जैसे रक्षात्मक चिन्ह बनाए जाते हैं। दिल्ली के कलाकार समाज और राजनीति के हिसाब से डिज़ाइन बदलते हैं। उत्तर प्रदेश जैसे उत्तरी राज्यों में अक्सर कविताएँ लिखी जाती हैं। आज भी भारतीय सड़कों पर “Horn OK Please” लिखा नजर आता है, जो युद्धकालीन मिट्टी के तेल ढोने वाले ट्रकों की याद है।

ट्रक आर्ट: कलाकार और उनका काम

ट्रक आर्ट पूरी तरह हाथ से बनाई जाती है और एक ट्रक को सजाने में कई हफ्ते लग जाते हैं। कलाकार नक्काशी करते हैं, रंग भरते हैं और सजावटी सामान लगाते हैं। बहुत से चालक अपने ट्रक को चलता-फिरता घर मानते हैं। पहाड़, नदियाँ या पारिवारिक चिन्हों की तस्वीरें उन्हें अपने घर-परिवार की याद दिलाती हैं।

पाकिस्तान में हैदर अली जैसे प्रसिद्ध कलाकार हैं, जिन्होंने अमेरिका के वॉशिंगटन डी.सी. स्थित विश्वप्रसिद्ध स्मिथसोनियन संग्रहालय में भी अपना काम दिखाया। 

भारत में नफ़ीस अहमद ख़ान दशकों से रोज़ ट्रक पेंट कर रहे हैं और तिलक राज धीऱ इस परंपरा को नए ढंग से ज़िंदा रखे हुए हैं।

ट्रक आर्ट: साझा जड़ें, रंगीन प्रतिस्पर्धा

भारत और पाकिस्तान की ट्रक आर्ट शैली अलग-अलग है, लेकिन दोनों की जड़ें एक जैसी हैं। दोनों ही देशों में ट्रक चलते-फिरते कला-दीर्घालय जैसे नजर आते हैं। यह प्रतिस्पर्धा रंगों से भरी और दोस्ताना है। सड़क पर असली मायने यह नहीं रखते कि ट्रक किस देश का है, बल्कि यह मायने रखता है कि वह चालक की क्या कहानी कह रहा है। हर सजा-धजा ट्रक अपने मालिक का संदेश लिए चलता है और साथ ही दक्षिण एशिया की रचनात्मक आत्मा को दिखाता है।

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