भारतीय ट्रक उद्योग धीरे-धीरे आधुनिक तकनीकों को अपनाने लगा है, जैसे एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (एडीएएस), ट्रक प्लेटूनिंग और स्वायत्त ट्रक। ये तकनीकें विदेशों में संचालन और सुरक्षा के लिए लाभकारी साबित हुई हैं। भारत में, हालांकि, इन्हें अपनाने में नियम, सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर और विविध ट्रैफिक माहौल बाधा हैं।
ट्रकों में एडीएएस
एडीएएस में लेन-कीपिंग असिस्ट, अनुकूल क्रूज नियंत्रण, टकराव चेतावनी और स्वत: आपातकालीन ब्रेकिंग जैसी तकनीकें शामिल हैं। यह चालक की गलती से बचाव करता है और वाहन नियंत्रण को बढ़ाता है। भारत में एडीएएस का आंशिक उपयोग कुछ विशेष व्यवसायिक बेड़ों में देखा गया है, खासकर एक्सप्रेसवे, हाईवे और औद्योगिक गलियारों पर। इसकी व्यापकता में बाधाएं हैं – मिश्रित ट्रैफिक, अलग-अलग सड़क स्थिति और कमजोर नियम पालन।
ट्रक प्लेटूनिंग
ट्रक प्लेटूनिंग में कई ट्रक एक-दूसरे के पीछे करीबी समन्वय में चलते हैं। इसके लिए वाहन-से-वाहन संचार का उपयोग किया जाता है ताकि दूरी कम हो और ईंधन बच सके। भारत में पायलट प्रोग्राम के तहत नियंत्रित औद्योगिक मार्गों पर परीक्षण किए गए हैं। बड़े पैमाने पर अपनाने में बाधाएं हैं – सड़क की स्थिति का अनिश्चित होना, अधिक ट्रैफिक और कनेक्टिविटी। फिर भी, लंबी दूरी के सुरक्षित मार्गों पर प्लेटूनिंग दक्षता बढ़ा सकती है।
स्वायत्त ट्रक तकनीक
स्वायत्त ट्रक पूरी तरह से बिना इंसानी हस्तक्षेप के चलते हैं। भारत में ये अभी विकास और परीक्षण चरण में हैं। अपनाने में बाधाएं हैं – जटिल सड़क स्थलाकृति, अप्रत्याशित ट्रैफिक व्यवहार और व्यवसायिक वाहन पर नियमों की कमी। फिलहाल भारत में आंशिक स्वचालन जैसे लेन असिस्ट और अनुकूल क्रूज नियंत्रण ज्यादा व्यावहारिक हैं।
निष्कर्ष
एडीएएस, ट्रक प्लेटूनिंग और स्वायत्त ट्रक भारत में अभी व्यापक रूप से नहीं अपनाए गए हैं। लेकिन पायलट प्रोग्राम और आंशिक उपयोग इनके संभावित लाभ दिखाते हैं। भविष्य में अपनाना नियम, इंफ्रास्ट्रक्चर और भारत के विविध ट्रैफिक वातावरण में अनुकूलन क्षमता पर निर्भर करेगा।
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