नीति में बदलाव और सप्लाई की कमी के बीच, तांबा चला रहा है इलेक्ट्रिक वाहन क्रांतिनीति में बदलाव और सप्लाई की कमी के बीच, तांबा चला रहा है इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति

28 Jul 2025

नीति में बदलाव और सप्लाई की कमी के बीच, तांबा चला रहा है इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति

इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति में तांबा बना मुख्य आधार, बढ़ती मांग और नीतिगत बदलाव भारत के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं।

समीक्षा

लेखक

PV

By Pratham

शेयर करें

2024 में इलेक्ट्रिक वाहनों की वैश्विक बिक्री 17 मिलियन से ज़्यादा रही, जो पिछले साल से 25% ज़्यादा है। इसमें से दो-तिहाई बिक्री केवल चीन में हुई। यूरोप में 3.2 मिलियन, अमेरिका में 1.5 मिलियन और बाकी दुनिया में 1.3 मिलियन इलेक्ट्रिक वाहन बिके। अब इलेक्ट्रिक वाहन सिर्फ़ एक ट्रेंड नहीं रहे, बल्कि यह एक बड़ा बदलाव है।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के कार्यकारी निदेशक फातिह बाईरोल ने कहा, “साफ ऊर्जा की तरफ बदलाव अब पूरी दुनिया में हो रहा है और इसे रोका नहीं जा सकता।” यह केवल एक बयान नहीं है, बल्कि अब यह सच्चाई बन रही है।

लेकिन इसमें एक बड़ी चुनौती भी है: यह बदलाव बराबरी से नहीं हो रहा है और यह बहुत हद तक एक धातु पर निर्भर है: तांबा।

तांबा: इलेक्ट्रिक युग का गुमनाम हीरो

साफ तकनीक की इस क्रांति में तांबा क्यों ज़रूरी है?

क्योंकि तांबा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की रीढ़ की हड्डी है।

  • तांबे से चलते हैं इलेक्ट्रिक मोटर
  • बैटरी और वायरिंग: सब तांबे से
  • इंवर्टर और डेटा सिस्टम: सबमें तांबा
  • चार्जिंग ग्रिड और ट्रांसफार्मर: तांबे के बिना नहीं

एक इलेक्ट्रिक वाहन में लगभग 1 मील लंबी तांबे की वायरिंग होती है। पावर सप्लाई से लेकर सुरक्षा और नियंत्रण तक, हर जगह तांबा है।

और जब व्यवसाय वाहन भी इलेक्ट्रिक हो रहे हैं, तो तांबे की मांग कई गुना बढ़ रही है।

तांबा इतना जरूरी क्यों है?

  • बिजली अच्छी तरह से और कम नुकसान के साथ चलाता है
  • टिकाऊ होता है
  • आसानी से मोड़ा जा सकता है
  • दबाव में भी काम करता है

इलेक्ट्रिक मोटर में तांबे की वाइंडिंग से बिजली कम नुकसान के साथ ट्रांसफर होती है। अब कई निर्माता तांबे के रोटर वाली इंडक्शन मोटर बना रहे हैं, जो ज़्यादा टिकाऊ होती है और इसमें दुर्लभ धातुओं की ज़रूरत नहीं होती।

चार्जर, ग्रिड और तांबे की मांग

हर इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर के पीछे कई हिस्से होते हैं, जिनमें तांबा जरूरी होता है।

अंतरराष्ट्रीय तांबा संघ (आईसीए) के अनुसार, अगले 10 सालों में दुनिया को 5 मिलियन सार्वजनिक चार्जिंग पोर्ट की ज़रूरत होगी, हर पोर्ट में तांबे की भारी मांग होगी।

इन चार्जिंग पोर्ट को जो बिजली देती है, वह ट्रांसफार्मर और ग्रिड भी तांबे पर ही टिके होते हैं।

जैसे-जैसे मांग बढ़ रही है, ट्रांसफार्मर की ज़रूरत भी बढ़ रही है। और ये ट्रांसफार्मर भी तांबे की कॉइल से बनते हैं, जो वोल्टेज को नियंत्रित करते हैं और बिजली को सुरक्षित रूप से पहुंचाते हैं।

अमेरिका की नीति में झटका

ट्रंप सरकार द्वारा प्रस्तावित नया  बिल नई इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर मिलने वाले $7,500 और पुरानी पर $4,000 की सब्सिडी को बंद करने का प्रस्ताव रखता है। इससे वाहन सस्ते नहीं रहेंगे, और ग्राहक भी हिचकिचा सकते हैं। कंपनियाँ भी निवेश से पीछे हट सकती हैं।

क्या इससे इलेक्ट्रिक वाहन का वैश्विक विकास रुक जाएगा? शायद नहीं।

चीन, यूरोप और एशियाई देशों ने इसमें बहुत कुछ दांव पर लगा दिया है, उनकी नीतियाँ और निर्माण ढांचा अब इतना मजबूत हो चुका है कि वे पीछे नहीं हट सकते।

भारत की तांबे पर चिंता

भारत ने भले ही बड़े लक्ष्य, उत्पादन प्रोत्साहन और उपभोक्ता सब्सिडी घोषित की हो, लेकिन असली समस्या है:  तांबे के आयात पर निर्भरता।

2024 में भारत का तांबे का व्यापार घाटा $6.8 बिलियन तक पहुँच गया। तांबे के कच्चे माल और उत्पादों का आयात 21% बढ़ा, और केवल कच्चा तांबा 22% मूल्य में बढ़ा, यह लिथियम, मैंगनीज, निकल और सिलिकॉन के कुल आयात से भी ज़्यादा है।

क्या यह चिंता की बात है? बिलकुल।

अगर भारत को अपने इलेक्ट्रिक वाहन का सपना पूरा करना है, तो केवल मांग बढ़ाने से काम नहीं चलेगा। सस्ता और स्थायी तांबा भी चाहिए। इसके बिना व्यवसाय वाहनों का विद्युतीकरण और चार्जिंग नेटवर्क भी संकट में पड़ सकता है।

तांबे के लिए रणनीति

  1. घरेलू उत्पादन बढ़ाएँ: तांबा गलाने, परिशोधन और तैयार करने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहन दें।
  2. नीतिगत समर्थन: तांबे को सामान्य वस्तु नहीं, बल्कि जरूरी संसाधन मानें और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में शामिल करें।
  3. बंद पड़े संयंत्रों को फिर से शुरू करें: तमिलनाडु का वेदांता स्टरलाइट प्लांट, जिसकी क्षमता 400,000 टन है, उसे फिर से शुरू करने से आयात का दबाव कम हो सकता है।

निष्कर्ष

इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति सिर्फ बैटरी या मोटर की बात नहीं है। यह तांबे से जुड़े पूरे सप्लाई चेन की बात है। चार्जर से लेकर वायरिंग तक हर चीज में तांबा है। तांबा विद्युतीकरण का असली नायक है। सवाल यह नहीं है कि हमें तांबा चाहिए या नहीं, सवाल है कि हम इसे कैसे सुरक्षित करें, क्योंकि अगर तांबा नहीं मिला, तो इलेक्ट्रिक वाहन का भविष्य अधर में लटक सकता है।

वेब स्टोरीज़

नवीनतम इलेक्ट्रिक समाचार

श्रेणी

*कीमतें सांकेतिक हैं और बदल सकती हैं।
91trucks

91ट्रक्स एक तेजी से बढ़ता डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो वाणिज्यिक वाहन उद्योग से संबंधित नवीनतम अपडेट और जानकारी प्रदान करता है।

उपयोगी लिंक

हमारी साझेदार वेबसाइट

91tractors.com
91infra.com

हम से जुड़ें