व्यवसायिक वाहन मालिकों के लिए खुशख़बरी है। केन्द्र सरकार जल्द ही व्यवसायिक वाहनों के लिए वार्षिक फास्टैग पास शुरू करने जा रही है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि सरकार इस योजना पर काम कर रही है, जिसमें राज्य परिवहन निगम की बसें और निजी व्यवसायिक वाहन दोनों शामिल होंगे।
इस कदम का मक़सद टोल टैक्स से जुड़ी परेशानियों को कम करना और परिवहन क्षेत्र को मज़बूत बनाना है। कुछ महीने पहले ही निजी कारों के लिए वार्षिक फास्टैग पास लाया गया था, अब वही सुविधा व्यवसायिक वाहनों के लिए भी मिलेगी।
सरकार निजी बस ऑपरेटर समूहों को रियायती दर पर ज़मीन देने पर भी विचार कर रही है, ताकि राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे यात्रियों के लिए सुविधाएँ बनाई जा सकें। इससे यात्रियों को सुविधा और सुरक्षा मिलेगी और बस संचालकों को भी कामकाज आसान होगा।
नितिन गडकरी ने बताया कि बस एंड कार ऑपरेटर्स कन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडिया के अनुसार देश की लगभग 92% बसें (करीब 20 लाख) निजी मालिकों के पास हैं। हर दिन लगभग 5 लाख लोग हवाई जहाज़ से, 2.4 करोड़ ट्रेन से, 1.15 करोड़ मेट्रो से और 40 करोड़ बसों से सफ़र करते हैं। इनमें से लगभग 32 करोड़ यात्री निजी बसों पर निर्भर हैं। इसके बावजूद बस संचालक लंबे समय से सुविधाओं की कमी की शिकायत कर रहे हैं।
इन समस्याओं पर ध्यान देते हुए नितिन गडकरी ने भरोसा दिलाया कि राज्य परिवहन की बसों, निजी बसों और टैक्सी चालकों को भी इस तरह की सुविधाएँ दी जाएँगी। उन्होंने बताया कि निजी कारों के लिए पहले ही 3,000 रुपये का वार्षिक फास्टैग पास शुरू हो चुका है और अब यह योजना परिवहन क्षेत्र के बड़े हिस्से को राहत देगी।
सरकार अभी राज्य परिवहन निगम की बसों और निजी व्यवसायिक वाहनों के लिए वार्षिक फास्टैग पास लाने की तैयारी कर रही है। नितिन गडकरी के अनुसार इसमें लगभग 3 महीने का समय और लग सकता है, लेकिन यह अवधि अभी तय नहीं है।
फिलहाल व्यवसायिक वाहन मालिकों को जल्द ही रोज़ाना टोल टैक्स देने की झंझट से राहत मिलने वाली है। नए सिस्टम से समय और पैसे दोनों की बचत होगी और राष्ट्रीय राजमार्गों पर सफ़र भी आसान होगा।
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