उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) ने सार्वजनिक परिवहन को स्वच्छ और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। इस पहल के तहत, पुरानी डीज़ल बसों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदला जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य है प्रदूषण को कम करना और मौजूदा बसों की उम्र को बढ़ाना — वो भी नए इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने की महंगी प्रक्रिया के बिना।
अब UPSRTC 10 साल या 11 लाख किलोमीटर चल चुकी डीज़ल बसों को रिटायर नहीं करेगा। इसके बजाय, इन बसों को इलेक्ट्रिक पावरट्रेन से रेट्रोफिट किया जा रहा है। इस काम में निजी कंपनियाँ जैसे कल्याणी पावरट्रेन और Zero21 निवेश कर रही हैं, जबकि UPSRTC बसों के बाहरी ढांचे में बदलाव कर रहा है।
यह सार्वजनिक और निजी साझेदारी का बेहतरीन उदाहरण है — कम लागत, अधिक टिकाऊपन।
UPSRTC की योजना है कि वह अपनी फ्लीट में 5,000 इलेक्ट्रिक बसें शामिल करे। अभी हाल ही में 220 इलेक्ट्रिक बसें (जिनमें 20 डबल-डेकर AC बसें भी शामिल हैं) महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों के लिए चलाई गई हैं।
न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि अन्य शहर भी अब पुरानी डीज़ल बसों को हटाकर इलेक्ट्रिक में परिवर्तित कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, नागपुर नगर निगम (NMC) भी अपने पुराने डीज़ल बस बेड़े को धीरे-धीरे हटाकर नई इलेक्ट्रिक बसें शामिल कर रहा है।
इधर, दिल्ली जैसे शहर शहरी ट्रैफ़िक समस्याओं को दूर करने के लिए भी योजना बना रहे हैं। हाल ही में, साउथ दिल्ली के रिंग रोड पर प्रमुख ट्रैफ़िक समस्याओं को चिन्हित किया गया है। इसके समाधान स्वरूप, सड़क चौड़ीकरण, बस स्टॉप की स्थिति बदलना और अतिक्रमण हटाना जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।
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