जब हम गर्मियों में गाड़ियों में फ़र्राटा भर रहे होते हैं और हमें धीमे चल रहा ट्रक दिख जाए तो गुस्सा आता है। है न? कभी आपने सोचा है कि आग उगल रही गर्मी में 12-14 घंटे एक गर्म केबिन में बैठकर एक व्यक्ति ट्रक चला रहा है। हाल ही में ये चर्चा का विषय रहा है कि ट्रक में एसी अनिवार्य कर देना चाहिए। इसपर भी बात करेंगे लेकिन उससे पहले ये समझना ज़रूरी है कि जो इस वक्त सड़क पर ट्रक चल रहे हैं, क्या उनमें एसी लगवाया जा सकता है? अगर हां तो कितना खर्चा आएगा और क्या ये ट्रक की सेहत के लिए अच्छा है या नहीं? आइए जानते हैं इस विषय के बारे में।
सबसे पहले बात करते हैं कि ट्रक में एसी लगाना कितना सही है? एसी के विशेषज्ञों के मुताबिक़, ट्रक में एसी लग सकता है लेकिन इससे इंजन पर अधिक दबाव पड़ेगा। एसी लगवाने के लिए केबिन को थोड़ा मॉडिफाइड करना होता है। इसके लिए रेडिएटर को छेड़ने की भी ज़रूरत नहीं है। कंडेनसर आसानी से लगाया जा सकता है। गिल ट्रक बॉडी वर्क समाना जो एक यूट्यूब चैनल है उनके मुताबिक़, एक टाटा के ट्रक में हाल ही में उन्होंने 3 ब्लोअर के साथ एसी लगाया था जिसका ख़र्चा 45 हज़ार रुपए था। 6 ब्लोअर के साथ इसका ख़र्चा 50 हज़ार रुपए आता है। एक बात याद रखने की ज़रूरत है कि कम क्षमता वाले इंजन के ट्रकों में एसी लगने के बाद माइलेज में अंतर आ जाता है। ध्यान रहे कंपनियों की वर्कशॉप में ट्रकों में एसी लगाने की सुविधा नहीं दी जाती है।
इसको लेकर वैसे कोई रॉकेट साइंस नहीं है। लेकिन एसी लगाने के विरोधी लोगों का कहना है कि लंबी दूरी के लिए ट्रक चलाने वाले ड्राइवरों को एसी नहीं लगवाना चाहिए। इससे ड्राइवरों को नींद आ सकती है। हां अगर कम दूरी हो या शहर में ही कहीं जाना हो तो एसी का इस्तेमाल किया जा सकता है। एक और तर्क जो इसके खिलाफ़ दिया जाता है कि इससे ट्रकों में और ज़्यादा ईंधन लगेगा और अतिरिक्त पैसों का भार जेब पर पड़ेगा।
ट्रक चालकों की सुविधा के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने अक्टूबर 2025 से बनने वाले ट्रकों के केबिन में एसी लगाना अनिवार्य कर दिया है। मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, एक अक्टूबर 2025 या इसके बाद बनने वाले एन-2 और एन-3 श्रेणी के वाहनों के केबिन में एसी लगाना होगा।
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जुलाई 2023 में केबिन में एसी लगाने को अनिवार्य बनाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने की जानकारी दी थी। केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि माल ढुलाई में ट्रक ड्राइवर बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में उनके कामकाज के हालात और मनोदशा को ठीक रखने के लिए इस पर ध्यान देना ज़रूरी है। उन्होंने जल्द ही ट्रकों के केबिन में एसी देना अनिवार्य करने की बात कही थी। केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि कुछ लोग लागत में वृद्धि का हवाला देकर ट्रकों के केबिन में एसी लगाए जाने का विरोध कर रहे थे।
एन 2- इस केटेगरी में आने वाले ट्रकों का कुल वजन 3.5 टन से ज्यादा लेकिन 12 टन से कम होता है।
एन 3- इस केटेगरी में वो ट्रक आते हैं जिनका वजन 12 टन से ज्यादा होता है।
ट्रक ऑपरेटरों का कहना है कि इससे ईंधन का ख़र्च 25 फीसदी बढ़ जाएगा और रखरखाव का ख़र्च भी 50 फीसदी बढ़ सकता है। कुछ मॉडलों में एसी केबिन लगाने के लिए मूल उपकरण विनिर्माता को ट्रक का पूरा ढांचा ही बदलना पड़ेगा। कुछ मॉडलों में एसी केबिन के लिए कंपनियों को इंजन की ताकत भी बढ़ानी पड़ सकती है। इससे भाड़ा भी बढ़ेगा और माल ढुलाई महंगी हो जाएगी। नामक्कल तालुक लॉरी ओनर्स एसोसिएशन के सचिव के अरुल ने कहा कि अगर सरकार ट्रक में एसी केबिन अनिवार्य करना चाहती है तो उसे हर ट्रक पर मुफ्त में सोलर पैनल लगाना होगा। कमर्शियल वाहन बनाने वालों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि एसी-ट्रकों की मांग बढ़ रही है। ट्रक बनाने वाली एक कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनकी कंपनी की कुल ट्रक बिक्री में करीब 50 फीसदी हिस्सेदारी एसी मॉडल की ही है। टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा कि इस निर्णय से चालकों की सेहत और सुरक्षा बेहतर होगी क्योंकि लंबे समय तक भी ट्रक आराम से चलाया जा सकेगा।
अंत में ये कदम सराहनीय है। सरकार को अब ट्रक ड्राइवरों के वेतन पर भी सोचने की ज़रूरत है। देर से ही सही लेकिन ये कदम भारतीय ट्रासंपोर्ट क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा।
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