भारत में इलेक्ट्रिक रिक्शा में निवेश क्यों फायदेमंद हैभारत में इलेक्ट्रिक रिक्शा में निवेश क्यों फायदेमंद है

04 Aug 2025

भारत में इलेक्ट्रिक रिक्शा में निवेश क्यों फायदेमंद है

भारत में इलेक्ट्रिक रिक्शा कम खर्च, ज़्यादा मुनाफा और साफ परिवहन का बेहतर विकल्प हैं। समझदारी भरा निवेश।

समीक्षा

लेखक

IG

By Indraroop

शेयर करें

भारत की सड़कों पर बदलाव दिख रहा है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ रही हैं। प्रदूषण बढ़ रहा है। शहरों में ट्रैफिक भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में इलेक्ट्रिक रिक्शा एक साफ, सस्ता और आसानी से बढ़ने वाला साधन बन गया है। छोटे निवेशकों, बेड़े (फ्लीट) चलाने वालों और खुद से काम करने वाले चालकों के लिए ये सिर्फ गाड़ी नहीं, बल्कि एक अच्छा निवेश भी है।

कम खर्च और जल्दी मुनाफा

इलेक्ट्रिक रिक्शा को चलाने के लिए पेट्रोल या डीज़ल नहीं चाहिए। ये बैटरी से चलते हैं। यही सबसे बड़ा फर्क है। बिजली का खर्च कम है, रखरखाव की ज़रूरत भी कम है। इंजन बंद नहीं होता, तेल का रिसाव नहीं होता, बेल्ट नहीं टूटते। इन गाड़ियों में सिस्टम बहुत आसान होता है, जो जल्दी खराब नहीं होता।

मालिक लंबे समय में पैसे बचाते हैं। रोज़ाना चलाने का खर्च कम होता है। कम खराबी का मतलब है कम मरम्मत और लगातार सवारी से कमाई होती रहती है।

सस्ती गाड़ी और आसानी से व्यापार बढ़ाना

इलेक्ट्रिक रिक्शा की कीमत भी बहुत ज़्यादा नहीं है। शुरुआती मॉडल लगभग ₹1.2 लाख में मिल जाते हैं। मध्यम स्तर के मॉडल में कुछ और सुविधाएं होती हैं, लेकिन फिर भी ये सस्ते हैं। सरकार की सहायता से कीमत और भी कम हो जाती है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और सूक्ष्म ऋणदाता से लोन भी मिल जाता है।

नए व्यापार शुरू करने वालों के लिए जोखिम कम होता है। कई लोग एक गाड़ी से शुरुआत करते हैं और मुनाफा होते ही धीरे-धीरे बेड़ा बढ़ाते हैं। कमाई से दोबारा निवेश होता है, जिससे यह व्यापार खुद ही आगे बढ़ता जाता है।

साफ सफर, बढ़ती मांग

शहरों में धुआं, धूल और शोर बहुत ज़्यादा है। इसमें कारों और ट्रकों का बड़ा योगदान है। इलेक्ट्रिक रिक्शा इसमें मददगार हैं। इनसे कोई धुआं नहीं निकलता, आवाज़ भी नहीं होती और जगह भी कम घेरते हैं।

इसी कारण सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों ही अब साफ-सुथरे सफर की तरफ बढ़ रहे हैं। स्कूल के आस-पास, मेट्रो स्टेशन, कस्बों के बाज़ार और गेटेड कॉलोनियों में ऐसे वाहन की मांग लगातार बढ़ रही है।

सरकार की सहयोगी नीतियाँ

सरकार सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, असली में मदद दे रही है। फेम-द्वितीय योजना के तहत इलेक्ट्रिक रिक्शा पर सीधी सहायता मिलती है। वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) की दरें कम की गई हैं। कुछ राज्य तो अलग से छूट भी देते हैं। व्यवसायिक इलेक्ट्रिक वाहन अब शहरी परिवहन के टेंडर में ज़्यादा पसंद किए जा रहे हैं।

शहरों और छोटे कस्बों में चार्जिंग स्टेशन बन रहे हैं। स्टार्टअप और सार्वजनिक कंपनियाँ मिलकर यह काम कर रही हैं। इससे ड्राइवर को चार्ज करने की सुविधा मिलती है, गाड़ी ज़्यादा समय चलती है और कमाई बढ़ती है।

बढ़ता बाज़ार, लंबे समय का अवसर

भारत दुनिया में सबसे आगे है इलेक्ट्रिक रिक्शा के उपयोग में। ये गाड़ियाँ द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में सबसे ज़्यादा चल रही हैं। अनुमान है कि यह क्षेत्र 2030 तक हर साल 15% से ज़्यादा बढ़ेगा।

मूल उपकरण निर्माता अब मजबूत ढांचा, लंबी दूरी चलने वाले मॉडल, सौर ऊर्जा वाले विकल्प और डिजिटल मीटर जैसी सुविधाएँ जोड़ रहे हैं। जो निवेशक लंबे समय तक मुनाफे की सोच रखते हैं, उनके लिए यह एक बढ़िया और स्थायी अवसर है।

निष्कर्ष

इलेक्ट्रिक रिक्शा पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए फायदेमंद हैं। खर्च कम हो रहे हैं, सरकार की नीतियाँ साथ दे रही हैं और लोगों की मांग बढ़ रही है। चाहे आप छोटा शुरू करें या बड़ा, यह निवेश समय के हिसाब से सही और समझदारी भरा है।

यदि आप अपने व्यवसाय के लिए नया या प्रयुक्त (पुराना) वाणिज्यिक वाहन खरीदने की सोच रहे हैं, तो 91ट्रक्स पर अवश्य जाएँ। यहाँ आपको आपके कंपनी की आवश्यकताओं के अनुसार विस्तृत समीक्षाएँ, विनिर्देश (स्पेसिफिकेशन), और सर्वोत्तम ऑफ़र मिलेंगे। ऑटोमोबाइल उद्योग से जुड़ी ताज़ा ख़बरों और कहानियों के लिए 91ट्रक्स से जुड़े रहें। नवीनतम जानकारी और वीडियो के लिए हमारे यू-ट्यूब चैनल को सदस्यता दें और फेसबुक, इंस्टाग्राम तथा लिंक्डइन पर हमें अनुसरण करें।

वेब स्टोरीज़

नवीनतम थ्री व्हीलर समाचार

श्रेणी

*कीमतें सांकेतिक हैं और बदल सकती हैं।
91trucks

91ट्रक्स एक तेजी से बढ़ता डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो वाणिज्यिक वाहन उद्योग से संबंधित नवीनतम अपडेट और जानकारी प्रदान करता है।

उपयोगी लिंक

हमारी साझेदार वेबसाइट

91tractors.com
91infra.com

हम से जुड़ें