भारत के ट्रक व्यवसाय कला सिर्फ सजावट नहीं है। यह पहचान, आस्था और संस्कृति को दर्शाती है। इसमें से सबसे मशहूर बात है "हॉर्न ओके प्लीज" जो ट्रकों के पीछे बड़े अक्षरों में लिखा रहता है। यह शब्द सुरक्षा, सुंदरता और कहानी को एक साथ जोड़ता है।
"हॉर्न ओके प्लीज" एक आसान ट्रैफिक संकेत था। ट्रक ड्राइवरों को संकीर्ण रास्तों पर एक-दूसरे से बात करने का तरीका चाहिए था। पीछे कोई दर्पण या संकेतक नहीं होते थे, इसलिए हॉर्न बजाना जरूरी था ताकि आगे निकलते वक्त सावधानी बनी रहे। इसीलिए ड्राइवरों ने इसे ट्रक के पीछे लिखा।
कई कहानियां हैं इस शब्द के बनने की। एक कहती है कि "ओके" का मतलब था "ऑन केरोसिन"। दूसरे विश्व युद्ध में डीजल नहीं मिलता था, इसलिए केरोसिन जलाते थे। केरोसिन जल्दी जलता है, इसलिए जब कोई आगे निकलता था तो हॉर्न बजाना जरूरी था। "हॉर्न ऑन केरोसिन प्लीज" धीरे-धीरे "हॉर्न ओके प्लीज" बन गया।
एक और कहानी कहती है कि "ओके" किसी प्रसिद्ध डिटर्जेंट ब्रांड से लिया गया। कुछ लोग कहते हैं कि जब आप "ओके" पढ़ पाओ तो समझो कि दूरी सही है। ये सब कहानियां अलग हैं, लेकिन यह शब्द चल पड़ा और भारत के रास्तों की पहचान बन गया।
भारतीय ट्रक व्यवसाय कला रंगीन और अनोखी होती है। इसमें लोक कला, कविता, धार्मिक देवी-देवताओं जैसे कृष्ण, दुर्गा, राष्ट्रीय चिन्ह, जानवर और स्थानीय डिज़ाइन शामिल होते हैं।
हर चीज का मतलब होता है। कमल साफ-सफाई का, बाघ ताकत का, उड़ते पक्षी आज़ादी का प्रतीक हैं। ट्रकों पर "नज़र बट्टू" जैसे तावीज भी लगे होते हैं जो बुरी नजर से बचाते हैं।
ट्रकों पर अलग-अलग लिखावटें भी होती हैं जैसे "रात में डिपर लगाओ," "हॉर्न बजाओ," या "प्यार ही जीवन है"। कुछ मज़ेदार होते हैं, कुछ सलाह देते हैं। ये सब मिलकर हर ट्रक को खास बनाते हैं।
आज के समय में ज़्यादातर ट्रकों में दर्पण और इंडिकेटर लगे होते हैं। फिर भी "हॉर्न ओके प्लीज" ट्रकों पर लिखा रहता है। अब यह सुरक्षा सलाह से ज्यादा एक यादगार निशान बन गया है।
कुछ राज्यों में इस शब्द को बंद करने की कोशिश हुई ताकि आवाज़ कम हो, लेकिन ट्रक मालिक इस रिवाज को नहीं छोड़ते। उनके लिए यह सिर्फ शब्द नहीं, गर्व और भावना है।
ट्रक व्यवसाय कला अब सड़क से बाहर आकर आर्ट गैलरी, फैशन और डिज़ाइन की दुनिया में भी प्रसिद्ध हो गई है। कलाकार इसे डिजिटल प्रिंट, कैनवास पेंटिंग और घर की सजावट में इस्तेमाल करते हैं। यह लोक कला की एक पहचानी हुई शैली बन चुकी है।
"हॉर्न ओके प्लीज" एक साधारण सड़क संकेत से शुरू हुआ था, लेकिन अब यह भारतीय दृश्य संस्कृति का हिस्सा बन गया है। यह सड़क उपयोग करने वालों की पहचान और उनकी भावनाओं को दर्शाता है।यदि आप अपने व्यवसाय के लिए नया या प्रयुक्त (पुराना) वाणिज्यिक वाहन खरीदने की सोच रहे हैं, तो 91ट्रक्स पर अवश्य जाएँ। यहाँ आपको आपके कंपनी की आवश्यकताओं के अनुसार विस्तृत समीक्षाएँ, विनिर्देश (स्पेसिफिकेशन), और सर्वोत्तम ऑफ़र मिलेंगे। ऑटोमोबाइल उद्योग से जुड़ी ताज़ा ख़बरों और कहानियों के लिए 91ट्रक्स से जुड़े रहें। नवीनतम जानकारी और वीडियो के लिए हमारे यू-ट्यूब चैनल को सदस्यता दें और फेसबुक, इंस्टाग्राम तथा लिंक्डइन पर हमें अनुसरण करें।
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