जब बात आती है वाणिज्यिक बसों की फ्लीट चलाने की, तो फ्लीट मालिकों की सबसे बड़ी चिंताएँ होती हैं – ईंधन लागत, रखरखाव और लाभप्रदता।
भारत में, दो प्रमुख ईंधन विकल्प हैं – सीएनजी (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) और डीज़ल।
बढ़ती ईंधन कीमतों और पर्यावरणीय चिंताओं के बीच अब फ्लीट मालिक सोचने लगे हैं कि सीएनजी बस बेहतर है या डीज़ल बस। चलिए एक सरल तुलना करते हैं:
निष्कर्ष: डीज़ल बसें सस्ती हैं, पर अब कीमतों में अंतर घट रहा है।
यही वह क्षेत्र है जहाँ सीएनजी बसें बहुत फायदे में हैं।
निष्कर्ष: सीएनजी बसों की ईंधन लागत काफी कम है।
निष्कर्ष: डीज़ल बसें कठिन उपयोग में बेहतर हैं, पर सीएनजी बसें शहर में ज्यादा टिकाऊ हैं।
निष्कर्ष: हाईवे के लिए डीज़ल, और शहर के लिए सीएनजी उपयुक्त है।
निष्कर्ष: सीएनजी पर्यावरण के लिए और नियमों के लिहाज़ से बेहतर है।
श्रेणी | डीज़ल बस | सीएनजी बस |
---|---|---|
खरीद मूल्य | ₹25 लाख | ₹27 लाख |
मासिक ईंधन खर्च | ₹80,000 | ₹50,000 |
वार्षिक रखरखाव खर्च | ₹60,000 | ₹75,000 |
कुल वार्षिक खर्च | ₹10.6 लाख | ₹8.75 लाख |
सीएनजी से वार्षिक बचत: ₹1.85 लाख प्रति बस
अगर आपकी फ्लीट लंबी दूरी की है, तो डीज़ल बसें आज भी अच्छा विकल्प हो सकती हैं। लेकिन अगर आप शहर के अंदर स्कूली बसें या सरकारी सेवाओं में फ्लीट चला रहे हैं, तो सीएनजी बसें अधिक किफायती, स्वच्छ, और भविष्य के लिए तैयार विकल्प हैं।
इसलिए सीएनजी बनाम डीज़ल बस की तुलना में सही विकल्प आपके उपयोग, मार्ग और रणनीति पर निर्भर करता है — लेकिन आज के शहरी फ्लीट के लिए सीएनजी एक स्मार्ट फैसला है।
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