भारत में हर दिन लाखों लोग बसों से यात्रा करते हैं। व्यवसाय बसें आम जनता की जीवन रेखा मानी जाती हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि दुर्घटनाएँ लगातार होती रहती हैं। अधिकतर हादसे बस की खराबी से नहीं बल्कि बस चालक की गलतियों से होते हैं। यदि इन गलतियों को समय रहते पहचान लिया जाए तो बड़ी संख्या में बस दुर्घटना गलतियाँ रोकी जा सकती हैं और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है।
तेज़ रफ़्तार सबसे बड़ी समस्या है। कई बस चालक समय पर पहुँचने के दबाव में बस को सीमा से अधिक गति से चलाते हैं। जब कोई व्यवसाय बस तेज़ चलती है तो ब्रेक लगाने की दूरी बढ़ जाती है। थोड़ा सा विलंब भी गंभीर टक्कर में बदल जाता है। शहर की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर इस तरह की ओवरटेकिंग पैदल यात्रियों और दोपहिया चालकों को खतरे में डाल देती है। हाईवे पर तो खतरा और बढ़ जाता है क्योंकि गति जितनी अधिक होगी, नुकसान उतना ही बड़ा होगा।
थकान धीरे-धीरे आती है और चालक की एकाग्रता को कम करती है। जो चालक लंबे समय तक लगातार गाड़ी चलाते हैं, वे जल्दी थक जाते हैं। रात की यात्राओं में कई चालक झपकी लेते हैं जो केवल कुछ सेकंड की होती है। लेकिन यही सेकंड जीवन और मृत्यु का अंतर बन जाते हैं। सिग्नल देखने में या अचानक सामने आए अवरोध को पहचानने में हुई देरी दुर्घटना का कारण बनती है। भारत में कई दुर्घटनाएँ सीधे-सीधे थके हुए चालकों से जुड़ी हुई हैं। पर्याप्त आराम और तय समय पर विश्राम लेना ही इस समस्या का समाधान है।
बसों को नियमित देखभाल चाहिए। छोटी-सी खराबी बड़ी समस्या में बदल सकती है। कमजोर ब्रेक, घिसे हुए टायर, खराब लाइट या ज़रूरत से अधिक भार बस को खतरनाक बना देते हैं। कई व्यवसाय वाहन बिना जाँच के ही रोज़ाना सड़क पर उतारे जाते हैं। यह आदत दुर्घटनाओं की संभावना को बढ़ाती है। एक टायर फटने या ब्रेक फेल होने की स्थिति में पूरी बस नियंत्रण से बाहर हो सकती है। यात्रा से पहले की जाँच और समय पर सर्विसिंग ज़रूरी है। रखरखाव केवल औपचारिकता नहीं बल्कि जीवन की सुरक्षा है।
यातायात नियम सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। फिर भी कुछ चालक इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लाल बत्ती पार करना, गलत तरीके से ओवरटेक करना या दूसरी गाड़ियों के बहुत करीब चलना आम आदतें हैं। कई चालक यह मान लेते हैं कि व्यवसाय बस के आकार के कारण उन्हें रास्ते पर प्राथमिकता मिलनी चाहिए। लेकिन यह सोच बेहद खतरनाक है। भारत की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर यह लापरवाही सभी यात्रियों को खतरे में डाल देती है। नियमों का पालन कोई बोझ नहीं बल्कि सुरक्षा की गारंटी है।
ध्यान भटकना आज की सबसे बड़ी समस्या है। मोबाइल फ़ोन, जी.पी.एस. यंत्र या यात्रियों से बातचीत चालक का ध्यान सड़क से हटा देती है। व्यवसाय बसों के लिए यह स्थिति और भी गंभीर है क्योंकि छोटी-सी चूक भी टक्कर का कारण बन सकती है। कभी-कभी टिकट बनाने या रास्ता देखने में भी चालक का ध्यान बँट जाता है। सड़क पर सतर्क रहना, शीशों पर नज़र रखना और ट्रैफ़िक प्रवाह को समझना आवश्यक है। ध्यान न भटकाना हर चालक की ज़िम्मेदारी है।
भारत की बसें हर क्षेत्र में लोगों को जोड़ती हैं लेकिन उनकी सुरक्षा पूरी तरह से चालक पर निर्भर करती है। तेज़ गति, थकान, रखरखाव की कमी, यातायात नियमों की अनदेखी और ध्यान भटकना ये पाँच आम बस चालक गलतियाँ हैं। इन गलतियों से बचने के लिए मज़बूत प्रशिक्षण, आराम के नियमों का पालन, नियमित रखरखाव और सतर्कता आवश्यक है। जब चालक अनुशासन में रहते हैं तो दुर्घटनाएँ कम होती हैं और यात्रियों का विश्वास बना रहता है।
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