भारत ने एक बार फिर दुनिया को दिखा दिया है कि वह इलेक्ट्रिक गाड़ियों के क्षेत्र में कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। लगातार दूसरे साल, भारत दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक तीन-पहिया वाहन (थ्री-व्हीलर) बाजार बन गया है।अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की रिपोर्ट वैश्विक ईवी आउटलुक 2025 के अनुसार, भारत में वर्ष 2024 के दौरान लगभग 7 लाख इलेक्ट्रिक तीन-पहिया वाहन बिके, जो पिछले साल के मुकाबले 18% अधिक हैं। वहीं दूसरी ओर, चीन में इन वाहनों की बिक्री घटकर 3 लाख यूनिट रह गई, यानी 6% की गिरावट आई।
वर्ष 2024 में भारत में बिकने वाले सभी तीन-पहिया वाहनों में से 57% इलेक्ट्रिक थे, जबकि 2023 में यह संख्या 53% थी। अक्टूबर 2024 में रिकॉर्ड 67,182 यूनिट बिके — यह इस क्षेत्र का अब तक का सबसे अच्छा महीना रहा।
सिर्फ जनवरी से अप्रैल 2025 तक भारत में 2,35,157 इलेक्ट्रिक तीन-पहिया वाहन बिके, जो पिछले साल की इसी अवधि से 14% ज्यादा हैं।
दुनियाभर में तीन-पहिया वाहनों के बाजार में 5% की गिरावट आई, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों का हिस्सा 10% बढ़ा। यह बढ़त मुख्य रूप से भारत और चीन की वजह से है, क्योंकि दोनों मिलकर दुनिया की 90% इलेक्ट्रिक तीन-पहिया बिक्री का हिस्सा हैं।
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अक्टूबर 2024 में शुरू हुई प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना ने इस तेज़ विकास में बड़ी भूमिका निभाई है। यह नीति मार्च 2026 तक लागू रहेगी और इसका उद्देश्य व्यवसायिक उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ता बनाना है।
इस योजना के अंतर्गत दी जाने वाली सब्सिडी:
भारत में इस समय 550 से ज़्यादा निर्माता कंपनियां इलेक्ट्रिक तीन-पहिया वाहन बना रही हैं। यह बाजार बहुत प्रतिस्पर्धी और तेज़ी से बदलने वाला है। लेकिन इनमें से कुछ बड़ी कंपनियां तेज़ी से अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं:
इनमें से महिंद्रा लास्ट माइल मोबिलिटी, बजाज ऑटो, और वाईसी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के बीच कड़ी टक्कर चल रही है। वहीं, छोटी और कम संसाधनों वाली कंपनियां या तो बाज़ार से बाहर हो सकती हैं या किसी बड़ी कंपनी में शामिल हो सकती हैं। इसका मतलब यह है कि भविष्य में वे कंपनियां ही टिक पाएंगी जो बड़े स्तर पर उत्पादन, मजबूत संचालन और नई सोच (इनोवेशन) के साथ काम करेंगी।
कभी सिर्फ सीमित कामों के लिए उपयोग में लाया जाने वाला इलेक्ट्रिक तीन-पहिया वाहन, अब भारत की इलेक्ट्रिक गाड़ी क्रांति का अहम हिस्सा बन चुका है। सरकार की सहायता, उद्योगों की तैयारी और आम लोगों की मांग — इन तीनों ने मिलकर भारत को इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे आगे खड़ा कर दिया है।यह सिर्फ एक मुकाम नहीं है, बल्कि एक शुरुआत है — जो भारत को आने वाले समय में पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र का लीडर बना सकती है।
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