दिल्ली पुलिस ने हाल ही में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है, जिसमें नकली व्यवसाय वाहनों के एंट्री परमिट बनाए जा रहे थे। ये परमिट दिल्ली जैसे व्यस्त शहर में वाहन प्रवेश को नियंत्रित करने के लिए जरूरी होते हैं। इस घोटाले से यह साफ हो गया है कि देश में व्यवसाय वाहनों की निगरानी में कई खामियां हैं।
ये मामला तब सामने आया जब ट्रैफिक पुलिस ने एक सामान्य चेकिंग के दौरान एक ट्रक के दस्तावेजों में गड़बड़ी पाई। जांच में पता चला कि ट्रक के पास जो व्यवसाय वाहन के लिए एंट्री परमिट था, वह नकली था। इसके बाद पुलिस ने गहराई से जांच की और पाया कि एक पूरा गिरोह नकली परमिट बना रहा था और उन्हें दिल्ली व आसपास के इलाकों में बेच रहा था।
दिल्ली में कई इलाके ऐसे हैं जहाँ पर दिन के खास समय में भारी व्यवसाय वाहनों की एंट्री पर रोक होती है। इसके लिए वाहन मालिकों को सरकारी परमिट लेना होता है। नकली परमिट के ज़रिए कुछ लोग इस नियम को तोड़ते हुए अपने व्यवसाय वाहनों को शहर में घुसेड़ रहे थे, जिससे ट्रैफिक, प्रदूषण और सुरक्षा पर असर पड़ रहा था।
अब तक पुलिस ने 12 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और सैकड़ों नकली परमिट, कंप्यूटर, प्रिंटर और नकली मुहरें बरामद की हैं। ये लोग बहुत ही असली दिखने वाले दस्तावेज़ बना रहे थे, जिन्हें देख कर असली और नकली में फर्क करना मुश्किल था।
भारत में व्यवसाय वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उन्हें नियंत्रित करने वाला सिस्टम अभी भी कमजोर है। यह घोटाला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि परमिट देने की प्रक्रिया को और ज्यादा पारदर्शी और डिजिटल बनाना जरूरी है।
दिल्ली पुलिस ने जनता और व्यवसाय वाहन मालिकों से अपील की है कि वे अपने दस्तावेज़ों को केवल सरकारी वेबसाइट या दफ्तरों से ही बनवाएं और उनकी वैधता की जांच जरूर करें। सरकार से भी यह उम्मीद है कि वह परमिट प्रणाली को और मजबूत बनाए ताकि ऐसे फर्जीवाड़े दोबारा न हों।
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