टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनी टाटा मोटर्स ने वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में 51% की बड़ी गिरावट के साथ 8,470 करोड़ रुपये का संयुक्त शुद्ध मुनाफा दर्ज किया। यह जानकारी कंपनी ने 13 मई को अपने वित्तीय नतीजों में दी। यह गिरावट खासतौर पर उसके व्यवसाय वाहन विभाग में आई कठिनाइयों को दर्शाती है, जो कि लंबे समय से कंपनी की घरेलू बाजार की रीढ़ रहा है।
व्यवसाय वाहनों के क्षेत्र में कंपनी का प्रदर्शन मिला-जुला रहा। भारत में कुल 99,600 यूनिट्स की बिक्री हुई, जो पिछले साल की इसी तिमाही से 5% कम है। इस गिरावट के कारण इस विभाग की कमाई 21,500 करोड़ रुपये रही, जो साल-दर-साल केवल 0.5% कम है।
हालांकि, कुछ आंकड़े सकारात्मक भी थे। टाटा के व्यवसाय वाहनों का निर्यात 29.4% की तेज़ बढ़त के साथ 5,900 यूनिट्स तक पहुंचा। यह इशारा करता है कि विदेशी बाजारों, खासकर जहां इन्फ्रास्ट्रक्चर की मांग मजबूत है, वहां टाटा को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। फिर भी, पूरे वित्तीय वर्ष में व्यवसाय वाहन विभाग की कमाई 4.7% कम हुई, जो बाज़ार की कमज़ोर मांग और स्टॉक की कटौती को दर्शाता है।
कंपनी की आमदनी और मुनाफे में भी थोड़ी गिरावट आई।ईबीआईटीडीए (ब्याज, टैक्स, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की कमाई) 4% घटकर 16,700 करोड़ रुपये रह गई।ईबीआईटीडीए मार्जिन भी 60 बेसिस पॉइंट्स घटकर 14% पर आ गया। इसका कारण है कच्चे माल की बढ़ी हुई लागत, घरेलू बाज़ार में कमज़ोर बिक्री और व्यवसाय वाहन क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा।
इन तमाम चुनौतियों के बीच एक बड़ी सकारात्मक खबर आई—टाटा मोटर्स अब अपने वाहन कारोबार में पूरी तरह से कर्ज़मुक्त हो गई है। यह एक बड़ी वित्तीय उपलब्धि है, जिससे कंपनी के ऊपर से ब्याज का बोझ हट गया है और अब वह अपनी पूंजी को और बेहतर तरीके से रणनीतिक कामों में लगा सकती है।
कंपनी के समूह मुख्य वित्त अधिकारी पी. बी. बालाजी ने कहा, “यह परिणाम बहुत ही संतोषजनक है और यह हमारी मजबूत बुनियादी स्थिति को दर्शाता है।”
भविष्य को लेकर कंपनी सतर्क लेकिन आशावान है। टाटा मोटर्स के कार्यकारी निदेशक गिरीश वाघ ने कहा, “हम भविष्य में सतत और लाभदायक विकास को आगे बढ़ाते हुए, अपने सभी कारोबार क्षेत्रों में वाहन बाज़ार में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
मौजूदा आर्थिक उतार-चढ़ाव, बदलते सरकारी नियम और ग्राहकों की बदलती मांग के बीच, टाटा मोटर्स का व्यवसाय वाहन विभाग आने वाले समय में भी कंपनी के विकास का मुख्य हिस्सा बना रहेगा। कार्यकुशलता, निर्यात में बढ़त और वित्तीय अनुशासन कंपनी की रणनीति के अहम स्तंभ होंगे।
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