भारत में ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए अडानी समूह ने देश का पहला हाइड्रोजन से चलने वाला ट्रक लॉन्च किया है, जो खनन के सामान ढोने के काम में लगेगा। यह ऐतिहासिक पहल 10 मई 2025 को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में की गई, जहाँ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस ट्रक को हरी झंडी दिखाई।यह ट्रक ऐसे उद्योग क्षेत्र में उपयोग होगा, जहाँ अब तक भारी मात्रा में प्रदूषण होता रहा है। अब इसकी मदद से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
यह ट्रक एक बार हाइड्रोजन भरने पर लगभग 200 किलोमीटर तक चल सकता है और 40 टन तक का सामान ले जा सकता है। यह हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक से चलता है, जिससे सिर्फ भाप और गर्म हवा निकलती है — कोई भी जहरीली गैस या धुआँ नहीं निकलता। साथ ही, यह ट्रक बेहद शांत है, जिससे खनन क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण भी कम होगा।
यह ट्रक केवल पर्यावरण के अनुकूल ही नहीं है, बल्कि कठिन उद्योगिक क्षेत्रों में भी पूरी तरह से काम करने के काबिल है। फिलहाल इसे गारे पेलमा III कोल ब्लॉक से पास के एक सरकारी थर्मल पावर प्लांट तक कोयला ढोने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
यह परियोजना अकेले अडानी समूह की नहीं है, बल्कि इसमें कई प्रमुख कंपनियों की साझेदारी है।
साथ ही, अशोक लेलैंड ने ट्रक के ढांचे और तकनीकी सहायता प्रदान की है, जिससे यह ट्रक खनन जैसे भारी कार्यों के लिए मजबूत बन सके।
इसके अलावा, कनाडा की कंपनी बैलार्ड पावर सिस्टम्सने इस ट्रक के लिए 120 kW का फ्यूल सेल इंजन उपलब्ध कराया है, जो हाइड्रोजन को बिजली में बदलता है।
ट्रक की शुरुआत के साथ ही अडानी समूह खनन के तरीके को भी बदलने की कोशिश कर रहा है।गारे पेलमा III साइट पर अब स्वचालित मशीनें, सौर ऊर्जा, डिजिटल निगरानी प्रणाली, और पेड़ स्थानांतरण जैसी तकनीकें लाई जा रही हैं, जिससे खनन से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सके।यह केवल एक ट्रक की बात नहीं है, बल्कि एक समग्र मॉडल की बात है, जिसमें उद्योगिक प्रक्रिया को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा रहा है।
भारत ने 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पाने में ग्रीन हाइड्रोजन की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। अडानी का यह ट्रक प्रोजेक्ट राष्ट्रीय लक्ष्यों से मेल खाता है और यह दिखाता है कि कैसे तकनीक और व्यवसाय क्षेत्र मिलकर पर्यावरण की दिशा में ठोस कदम उठा सकते हैं।
विनय प्रकाश, मुख्य कार्यकारी अधिकारी- अडानी नेचुरल रिसोर्सेज व निदेशक - अडानी एंटरप्राइजेज, ने कहा:
“हाइड्रोजन से चलने वाले ट्रक का यह प्रोजेक्ट अडानी समूह की जिम्मेदार खनन और डिकार्बनाइजेशन (कार्बन-मुक्त) प्रतिबद्धता का मजबूत उदाहरण है। हमारा लक्ष्य है कि हम स्वचालित मशीनों, सौर ऊर्जा, डिजिटल समाधान और पेड़ स्थानांतरण जैसी तकनीकों के जरिये एक ऐसा खनन मॉडल बनाएं जो पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाए और सभी को सस्ती व भरोसेमंद बिजली मिल सके।”
भारत में अडानी का पहला हाइड्रोजन-पावर्ड खनन ट्रक न केवल तकनीकी प्रगति है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय उपलब्धि भी है। इससे यह साबित होता है कि अब भारी उद्योगों में भी साफ-सुथरे और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प अपनाए जा सकते हैं।यह पहल न सिर्फ उद्योगिक बदलाव को दिशा देगी, बल्कि आने वाले समय में भारत के ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में सतत विकास की एक नई राह खोलेगी।
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